वडोदरा के युवा उद्यमी का अनूठा प्रयास: ‘रेवा वेव्स’ के जरिए महिलाएं एवं दिव्यांग बन रहे सशक्त
वेदांत मकवाना का पर्यावरणीय स्टार्टअप ‘रेवा वेव्स’, हरित नवाचार और सामाजिक सशक्तिकरण की मिसाल
जलवायु परिवर्तन और सामाजिक असमानता की चुनौती के बीच वडोदरा के युवा सामाजिक कार्यकर्ता वेदांत मकवाना ने एक प्रेरणादायक पहल की है। एम.एस. विश्वविद्यालय में सामाजिक कार्य के अंतिम वर्ष के छात्र वेदांत ने ‘रेवा वेव्स’ नामक पर्यावरण-सामाजिक स्टार्टअप की शुरुआत की है, जो न केवल टिकाऊ उत्पादों को बढ़ावा देता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने का कार्य भी कर रहा है।
‘रेवा वेव्स’ के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें जूट, सूती, पुनर्चक्रित कागज़, प्राकृतिक साबुन, बायो-कम्पोस्ट और अन्य 15 से अधिक पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के निर्माण में जोड़ा गया है। अब तक स्टार्टअप द्वारा 2,000 से अधिक यूनिट्स बेची जा चुकी हैं। यह पहल ग्रामीण महिलाओं के लिए आय का साधन बनी है, जिससे वे घरेलू कार्यों के साथ-साथ हर दिन 2,000 रुपये तक कमा रही हैं।
वेदांत ने बताया कि सुंदरपुरा गाँव की फील्ड विज़िट के दौरान उन्हें ग्रामीण महिलाओं के हुनर और संसाधनों की कमी के बीच एक अंतर दिखाई दिया। इसके बाद उन्होंने इन्हें प्रशिक्षित कर स्थायी उत्पाद निर्माण की दिशा में प्रेरित किया।
आज ‘रेवा वेव्स’ से वडोदरा शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग 50 महिलाएं जुड़ी हैं। उत्पादन से लेकर पैकेजिंग तक की पूरी प्रक्रिया में वे सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। स्टार्टअप को गुजरात सरकार के प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रम से अनुदान प्राप्त हुआ है और गुजरात चेंजमेकर्स नेटवर्क व ISTD जैसे मंचों पर सराहना भी मिली है।
वेदांत फिलहाल कॉर्पोरेट गिफ्टिंग समाधानों पर काम कर रहे हैं और ‘रेवा वेव्स’ को ई-कॉमर्स और बी2बी साझेदारियों के जरिए राष्ट्रीय और वैश्विक मंचों पर ले जाने की योजना में जुटे हैं। उनका संकल्प है – “टिकाऊ लोगों द्वारा बनाए गए टिकाऊ उत्पादों से एक समतामूलक और हरित भारत का निर्माण।”