सूरत : मौन हाथ, जीवन की आवाज़ – मूकबधिर बच्चों को CPR प्रशिक्षण, एक अनूठी मानव सेवा की मिसाल
सूरत । एक ऐतिहासिक और दिल छू लेने वाली पहल के तहत, रोटरी क्लब ऑफ सूरत रिवरसाइड और रोटरी क्लब ऑफ उदना ने मिलकर पारले पॉइंट स्थित मूकबधिर विद्यालय में विशेष बच्चों के लिए कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) जागरूकता और प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया।
सुन और बोल नहीं सकने वाले बच्चों ने इस आयोजन में न सिर्फ भाग लिया, बल्कि यह साबित कर दिया कि "कर्म शब्दों से अधिक शक्तिशाली होते हैं।इस प्रशिक्षण का नेतृत्व रोटरी जिला 3060 के CPR कोऑर्डिनेटर और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत कारिया ने किया।
स्कूल के शिक्षकों ने इशारों की भाषा और व्यावहारिक क्रियाओं की मदद से बच्चों को CPR की बारीकियाँ समझाईं, जिससे यह प्रशिक्षण सरल, रोचक और प्रभावी बन पाया।
डॉ. कारिया ने बताया,"हार्ट अरेस्ट के बाद पहले चार मिनट बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। अगर तुरंत CPR दिया जाए, तो व्यक्ति की जान बचने की संभावना 70% तक होती है।उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहायदि उनके गिरने के समय CPR तुरंत शुरू हुआ होता, तो शायद परिणाम अलग होता। इसीलिए CPR हर नागरिक को आना चाहिए। अगर मूकबधिर बच्चे इसे सीख सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?
सीपीआर (Basic Life Support) के मुख्य चरण सबसे पहले सुनिश्चित करें कि स्थान सुरक्षित है, कंधे पर थपथपाकर प्रतिक्रिया जाँचें, मदद के लिए आवाज लगाएँ और 108 पर कॉल करें, 10 सेकंड में नब्ज और सांस की जाँच करें।
यदि नब्ज और सांस नहीं हैं, तो तुरंत छाती पर दबाव (चेस्ट कंप्रेशन) दें, हाथ की एड़ी को दोनों निप्पलों की सीध में रखें, 5 से.मी. गहराई तक दबाएं, गति: प्रति मिनट 100–120 बार, 30 दबाव के बाद 2 साँसें दें, सिर पीछे झुकाएं, ठुड्डी उठाएं, नाक बंद करें।
यह 30:2 चक्र — 2 मिनट में 5 बार दोहराएं जब तक चिकित्सकीय सहायता न पहुंचे या व्यक्ति होश में न आ जाए, सीपीआर जारी रखें
यह कार्यक्रम केवल मूकबधिर बच्चों को सशक्त बनाने का माध्यम नहीं था, बल्कि एक गहरा सामाजिक संदेश भी देता है ।
जीवन बचाना केवल डॉक्टरों की जिम्मेदारी नहीं, यह हर नागरिक का कर्तव्य है। जो हाथ बोल नहीं सकते, वे भी दिल की धड़कन बचा सकते हैं।आइए, हम सब संकल्प लें — CPR सीखें और सिखाएँ, क्योंकि हर सेकंड मायने रखता है, और हर हाथ जीवन बचा सकता है।