ब्रिटिश सेना में बनेगा सिख रेजीमेंट, इस मुद्दे पर लंदन में शुरु हुई बहस
लंदन, 20 जुलाई (वेब वार्ता)। ब्रिटेन की मीडिया में सुर्खियां बन गईं कि रक्षा मंत्री सिख रेजीमेंट के प्रस्ताव के लिए ‘तैयार’ हैं। हालांकि, ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने साफ किया कि ऐसी कोई योजना नहीं है।
हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लेबर पार्टी के सदस्य लॉर्ड साहोता ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में सिख सैनिकों के बेहतरीन योगदान की याद दिलाई और रक्षा मंत्री लॉर्ड कोकर से सवाल किया कि क्या ब्रिटिश आर्मी में सिख रेजीमेंट की स्थापना की दिशा में कोई प्रगति हुई है। वहीं लॉर्ड कोकर ने इस पर विचार करने की बात कही और कहा कि वे इस विषय पर और चर्चा को तैयार हैं।
सिख रेजीमेंट की स्थापना में लॉर्ड डलहौजी, लॉर्ड हर्डिंग और जनरल चार्ल्स गोर ओयूजले जैसे वरिष्ठ ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों की बड़ी भूमिका थी, जिन्होंने महसूस किया कि सिख सैनिक युद्ध में बेहद साहसी और निष्ठावान होते हैं।
इसकी 15वीं पंजाब रेजीमेंट में लॉर्ड सहोता के दादाजी भी शामिल थे।इतिहास में झांकें तो सिख रेजीमेंट की जड़ें ब्रिटिश इंडियन आर्मी में हैं। सिखों की बहादुरी, अनुशासन और युद्ध कौशल को देखकर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1846 के बाद उनके सैन्य कौशल को औपचारिक रूप से शामिल किया। सिख रेजीमेंट की स्थापना 1846 में हुई, जब सिख साम्राज्य के पतन के बाद बड़ी संख्या में सिख सैनिक ब्रिटिश सेना में भर्ती हुए।1857 के विद्रोह के दौरान भी सिख सैनिकों ने ब्रिटिश राज के समर्थन में भूमिका निभाई, जिससे उनकी वफादारी और बहादुरी को और मान्यता मिली।
सूत्रों के अनुसार, सिख रेजीमेंट की स्थापना ब्रिटेन के समानता कानून का उल्लंघन कर सकती है, क्योंकि यह नस्ल या धर्म के आधार पर विशेष रेजीमेंट बनाना माना जाएगा। मंत्रालय ने स्वीकार किया कि वे सिखों के योगदान को सम्मान देने के अन्य तरीके खोज सकते हैं, लेकिन सिख रेजीमेंट की दिशा में कदम उठाना फिलहाल संभव नहीं है।
लॉर्ड साहोता के दादा ब्रिटिश इंडियन आर्मी की 15वीं पंजाब रेजीमेंट में सेवा दे चुके है। वह रक्षा मंत्रालयी की इस तर्क से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर ब्रिटिश सेना में स्कॉटिश, वेल्श या यॉर्कशायर जैसी क्षेत्रीय रेजीमेंट हो सकती हैं, तो सिख रेजीमेंट भी हो सकती है।
उनके अनुसार यह रेजीमेंट केवल सिखों के लिए नहीं होगी, जैसे स्कॉटिश रेजीमेंट में सभी स्कॉटिश नहीं होते… उन्होंने कहा कि यह सिख विरासत और मूल्यों को प्रदर्शित करने वाली इकाई हो सकती है, जिसमें अन्य धर्मों के लोग भी सेवा दे सकते हैं।