सूरत: "2047 का सुरक्षित और स्मार्ट सूरत": चैंबर ऑफ कॉमर्स ने पुलिस आयुक्त के साथ की भविष्य की पुलिसिंग पर विचार-विमर्श
ट्रैफिक, कानून-व्यवस्था और तकनीक आधारित निगरानी जैसे मुद्दों पर पुलिस आयुक्त के समक्ष रखीं समस्याएं और सुझाव
सूरत शहर की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और स्मार्ट पुलिसिंग को लेकर दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने 14 जुलाई 2025 को सूरत पुलिस आयुक्त अनुपम सिंह गहलोत के साथ "2047 में सुरक्षित और सुदृढ़ सूरत: नागरिक भागीदारी के लिए स्मार्ट पुलिसिंग" विषय पर चर्चा बैठक आयोजित की।
बैठक समृद्धि, नानपुरा स्थित चैंबर परिसर में सम्पन्न हुई जिसमें बड़ी संख्या में उद्योगपतियों, व्यापारियों, पेशेवरों और नागरिकों ने भाग लिया। बैठक के दौरान व्यवसायियों और नागरिकों ने निम्नलिखित समस्याओं को प्रमुखता से सामने रखा।
जिसमें रात के समय ट्रैफिक सिग्नलों पर अत्यधिक प्रतीक्षा समय, दाईं ओर मुड़ने में कठिनाई और सिग्नल टाइमिंग की विसंगतियाँ, बालिका विद्यालयों के आसपास गुटखा-सिगरेट की अवैध बिक्री और छेड़छाड़ की घटनाएँ, रिंग रोड पर व्यापार क्षेत्रों में ट्रैफिक क्रेन द्वारा वाहन उठाने से व्यापार में बाधा, व्यावसायिक इमारतों के पास पार्किंग की अनुपलब्धता, कलेक्ट्रेट, नगर निगम और पुलिस विभाग के बीच समन्वय की कमी, रिक्शा चालकों की मनमानी और ओला-उबर जैसी सेवाओं का अभाव, स्कूल वैन/रिक्शा में छात्रों की अधिक संख्या और इस पर नियंत्रण की कमी, वराछा गरनाला और अन्य क्षेत्रों में शाम के समय ट्रैफिक जाम, हवेली और प्रमुख स्थलों के सामने पार्किंग की समस्या, रात 10 बजे से सुबह 8 बजे तक भारी वाहनों के संचालन की समस्या।
पुलिस आयुक्त अनुपम सिंह गहलोत ने बताया कि वर्ष 1861 में जब भारतीय पुलिस अधिनियम लागू हुआ, तब से लेकर अब तक पुलिसिंग में व्यापक बदलाव आए हैं। आज की आवश्यकता है स्मार्ट, तकनीक-सक्षम और जनोन्मुखी पुलिस व्यवस्था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताए गए "SMART पुलिस" सिद्धांत की व्याख्या की। S – सख्त (अपराधियों के लिए) और संवेदनशील (जनता के लिए), M – आधुनिक और गतिशील, A – सतर्क और सक्रिय, R – प्रतिक्रिया देने वाली और जिम्मेदार, T – प्रशिक्षित और टेक्नोलॉजी-प्रेमी।
उन्होंने बताया कि सूरत पुलिस 100 नंबर पर प्रतिदिन 35,000 से अधिक कॉल्स प्राप्त करती है, 30% कॉल्स गैर-पुलिस मामलों से संबंधित होती हैं, फिर भी पुलिस यथासंभव मदद करती है, AI आधारित कैमरों की संख्या 25 तक पहुँची है, जिन्हें अब अन्य कैमरों से जोड़ा जा रहा है, सिर्फ़ छह महीनों में 9 लाख ई-चालान जारी किए गए हैं, स्पाई आई प्रोजेक्ट के तहत 7000 कैमरों से निगरानी की जा रही है, डिजिटल निगरानी, डेटा एनालिटिक्स और फोरेंसिक तकनीक को अपनाकर अपराधों की रोकथाम कर रही है।
उन्होंने कहा कि सूरत जिस तरह स्वच्छता में नंबर एक है, उसी तरह नियमों के पालन और ट्रैफिक प्रबंधन में भी नंबर एक बन सकता है, बशर्ते सभी नागरिक साथ दें।
चैंबर अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने स्मार्ट पुलिसिंग की आवश्यकता पर बल दिया, चैंबर उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला ने पुलिस आयुक्त के प्रति आभार व्यक्त किया, मानद कोषाध्यक्ष सीए मितेश मोदी ने आयुक्त का परिचय कराया, ग्रुप चेयरमैन मृणाल शुक्ला ने पूरे सत्र का संचालन किया। यातायात शिक्षा एवं जागरूकता समिति की अध्यक्ष कामिनीबेन डुमसवाला सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।