सूरत में कपड़ा मशीनरी को लेकर अहम बैठक, आयात प्रतिबंध पर फिलहाल रोक की सिफारिश

एसजीसीसीआई और टीएमएमएआई केंद्र व राज्य सरकार को संयुक्त रूप से सौंपेंगे सुझाव, घरेलू निर्माण क्षमता की रिपोर्ट भी मांगी गई

सूरत में कपड़ा मशीनरी को लेकर अहम बैठक, आयात प्रतिबंध पर फिलहाल रोक की सिफारिश

सूरत। भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय के सुझाव पर दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) में 8 जुलाई 2025 को भारतीय वस्त्र मशीनरी निर्माता संघ (टीएमएमएआई) और सूरत के बुनाई एवं कढ़ाई मशीनों के उपयोगकर्ताओं की एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई। बैठक में आयातित टेक्सटाइल मशीनरी पर प्रतिबंध लगाने से पहले घरेलू मशीनों की निष्पादन वैधता सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई।

इस बैठक में चैंबर के अध्यक्ष निखिल मद्रासी, उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला, मानद कोषाध्यक्ष सीए मितेश मोदी, पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती, टीएमएमएआई के कार्यकारी निदेशक सचिन अरोड़ा, और राज्य के प्रमुख वस्त्र मशीनरी निर्माता शामिल हुए

चैंबर अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा टेक्सटाइल मशीनरी पर क्वांटिटेटिव रेगुलेटरी रिस्ट्रिक्शन (QTR) लागू करने की समयसीमा एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है। ऐसे में बैठक में यह विचार किया गया कि इस समय का उपयोग पूरे टेक्सटाइल मूल्य श्रृंखला के हितधारकों की राय के साथ सरकार को सशक्त सुझाव देने के लिए किया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि सूरत को हर वर्ष लगभग 15,000 आधुनिक बुनाई मशीनों की आवश्यकता होती है और वर्ष 2030 तक इस उद्योग का बाजार आकार 350 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। इसके लिए ₹40,000 करोड़ निवेश और 4 लाख हाई-स्पीड वीविंग मशीनों की आवश्यकता होगी।

उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला ने कहा कि भारत को विदेशी टेक्सटाइल मशीन निर्माताओं को आमंत्रित कर संयुक्त उद्यमों के जरिए देश में ही मशीनरी निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई अहम घटक अभी भी भारत में नहीं बनते, और जब उन्हें आयात किया जाता है तो उन पर भारी शुल्क लगता है। यदि घरेलू निर्माता इन घटकों को बिना शुल्क के आयात कर उन्हें भारत में असेंबल करें, तो मांग की पूर्ति स्थानीय स्तर पर की जा सकती है।

पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती ने सुझाव दिया कि सरकार के समक्ष कपड़ा मशीनरी के लिए विशेष पीएलआई योजना, उल्टे शुल्क ढांचे का समाधान, ईपीसीजी और मूवर्स योजना का समन्वय और अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए अलग योजना लाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। उन्होंने एक विशेष टेक्सटाइल मशीनरी पार्क की आवश्यकता पर भी बल दिया।

बैठक में वर्ष 2030 तक की ज़रूरतों को देखते हुए भारतीय कपड़ा मशीनरी निर्माता संघ (टीएमएमएआई) से यह स्पष्ट करने को कहा गया कि क्या वे घरेलू स्तर पर 4 लाख हाई-स्पीड वीविंग मशीनों की मांग को पूरा करने में सक्षम हैं। 

बैठक के अंत में यह निर्णय लिया गया कि एसजीसीसीआई और टीएमएमएआई मिलकर केंद्र और राज्य सरकार को सभी मुद्दों पर एक संयुक्त प्रस्तुति देंगे। इसमें घरेलू उत्पादों की गुणवत्ता और क्षमता की जाँच पूरी होने तक आयातित मशीनों पर कोई प्रतिबंध न लगाने की सिफारिश भी शामिल होगी।

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