मतदाता सूची विवाद के चलते बिहार जैसा मॉडल पूरे देश में लागू करेगा आयोग

मतदाता सूची विवाद के चलते बिहार जैसा मॉडल पूरे देश में लागू करेगा आयोग

नई दिल्ली, 09 जुलाई (वेब वार्ता)। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की जांच पड़ताल चल रही है है। इसको लेकर कुछ सवाल भी खड़े हुए हैं और विपक्ष का आरोप है कि इसमें लाखों मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। ये विवाद खत्म होता इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबरें आ रहीं है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (सर) प्रक्रिया यानी बिहार वाला मॉडल पूरे देश में लागू होगा।

चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार सर को पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना है। इसके ऑर्डर के पैरा 10 के तहत यह प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें बिहार के बाद अन्य राज्यों में इसे लागू करने का निर्णय आयोग उचित समय पर लेगा।

बिहार में इसकी शुरुआत इसलिए हुई क्योंकि यहां चुनाव पहले हुए थे, लेकिन अब आयोग का ध्यान देश के अन्य राज्यों पर है। इसमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी जैसे आगामी चुनावी राज्य भी शामिल हैं।

चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार अभी यह तय नहीं है कि सर को पूरे देश में एक साथ लागू किया जाए या चुनावों के करीब आने के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए। इस पर आगामी समय में फैसला लिया जाएगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने हाल ही में कहा था कि ‘शुद्ध मतदाता सूची’ लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए अनिवार्य हैं। उनका यह बयान सर प्रक्रिया के पीछे की मंशा को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची से नकली और दोहराए गए नामों को हटाकर चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है।

हालांकि, यह फैसला विपक्षी दलों के लिए नई चुनौती बन सकता है। बिहार में SIR लागू होने के बाद आरजेडी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे मतदाताओं के नाम काटने की साजिश करार दिया है। इसको लेकर बुधवार को बिहार बंद का आह्वान किया गया है।

आरजेडी सांसद मनोज झा ने हाल ही में चुनाव आयोग पर राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप लगाया था, जिसके जवाब में आयोग ने उनके दावों को भ्रामक बताया।

विपक्ष का तर्क है कि सर प्रक्रिया का दुरुपयोग सत्तारूढ़ पार्टी के हित में हो सकता है, खासकर उन राज्यों में जहां 2026 या उससे पहले विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि सर का उद्देश्य मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना है न कि किसी राजनीतिक दल को नुकसान पहुंचाना।

प्रक्रिया में ब्लॉक लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करते हैं और दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण की पुष्टि करते हैं।अब आयोग का इरादा है कि अन्य राज्यों में भी इस प्रणाली को लागू कर मतदाता सूची को शुद्ध किया जाए।

विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में है, लेकिन इसे लागू करने में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना जरूरी होगा। विपक्षी दलों ने मांग की है कि सर की प्रगति पर सार्वजनिक रिपोर्ट पेश की जाए और स्थानीय स्तर पर जन सुनवाई आयोजित की जाए।