आपातकाल जैसी घटनाओं को भुलाना खतरनाक होगा: शाह

आपातकाल जैसी घटनाओं को भुलाना खतरनाक होगा: शाह

नई दिल्ली, 25 जून (वेब वार्ता)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि 1975 में देश में लागू किए गए आपातकाल जैसे घटनाक्रम को भुलाना देश के लिए खतरनाक होगा।

शाह ने कहा कि आपातकाल ने ‘हमारे लोकतंत्र की जड़ों को हिला कर रख दिया था और ऐसी घटनाओं के प्रति समाज की स्मृति को जगाये रखा जाना चाहिए। गृहमंत्री संविधान हत्या दिवस पर राजधानी में श्यामा प्रसाद मुखर्जी अनुसंधान प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

तीनमूर्ति प्रधानमंत्री संग्रहालय भवन में आयोजित ‘आपातकाल के 50 साल’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘आपातकाल को 50 साल पूरे हो गए हैं और जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किया जाएगा। कुछ लोगों को आश्चर्य हो सकता है कि हम दशकों पहले हुई किसी घटना को क्यों याद कर रहे हैं।”

गृहमंत्री ने कहा, ‘लेकिन मेरा मानना है कि किसी भी सभ्य समाज में समय के साथ यादें धुंधली हो सकती हैं, फिर भी आपातकाल जैसी घटना को भूलना, जिसने हमारे लोकतंत्र की नींव हिला दी, राष्ट्र के लिए खतरनाक है। ”

 शाह ने आपातकाल की घोषणा के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘आज संविधान की दुहाई देने वालों से मैं पूछना चाहता हूं… क्या आपातकाल के लिए संसद की सहमति ली गई थी? क्या मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई थी? क्या देशवासियों को, विपक्ष को, भरोसे में लिया गया था? ”

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने 25 जून की रात को संविधान हत्या दिवस के रूप में अधिसूचित किया है। इसी दिन 1975 में तत्कालीन इंदिरा गाँधी सरकार ने विवादास्पद परिस्थितियों में देश में आपातकाल लागू कर जनता के मौलिक अधिकारियों को समाप्त कर दिया था। उन्होंने कहा कि वह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास की सबसे लंबी रात थी।

उन्होंने कहा कि आज लोकतंत्र को लेकर हल्ला मचाने वाले वही लोग है और उसी पार्टी के लोग हैं जिन्होंने लोकतंत्र के रक्षक की भूमिका से लोकतंत्र के भक्षक का काम किया था।

गृहमंत्री ने आपातकाल के समय हुए अत्याचारों का जिक्र करते हुए कहा, ‘कांग्रेस पार्टी ने इस देश के अंदर लोकतंत्र की हत्या करने का काम किया। संविधान का जो दुरुपयोग हुआ, वो एक दुःस्वप्न की तरह भारत के लोकतंत्र को हमेशा याद रहेगा।’