भारत के चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से बाजार ने लगाई छलांग

भारत के चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से बाजार ने लगाई छलांग

मुंबई, 26 मई (वेब वार्ता)। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मामले में जापान को पछाड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से निवेशकों का भरोसा और मजबूत होने की बदौलत हुई चौतरफा लिवाली से आज शेयर बाजार ने ऊंची छलांग लगाई।

बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 747.66 अंक अर्थात 0.91 प्रतिशत की छलांग लगाकर 82,468.74 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 218.10 अंक यानी 0.88 प्रतिशत की तेजी के साथ 25,071.25 अंक पर पहुंचा।

कारोबार की शुरुआत में सेंसेक्स 208 अंक उछलकर 81,928.95 अंक पर खुला और खबर लिखे जाने तक 81,867.23 अंक के निचले जबकि 82,492.24 अंक के उच्चतम स्तर पर रहा। इसी तरह निफ्टी भी 66 अंक बढ़कर 24,919.35 अंक पर खुला और 24,900.50 अंक के निचले जबकि 25,079.20 अंक के उच्चतम स्तर पर रहा।

बाजार विश्लेषकों के अनुसार, "भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की खबर बाजार के लिए निकट भविष्य में मनोबल बढ़ाने वाली होगी। यह न केवल वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करेगा, बल्कि घरेलू स्तर पर भी निवेश भावना को मजबूत करेगा।"

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की यह प्रगति मजबूत आर्थिक बुनियाद, सतत सुधारों और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच स्थिर विकास दर का परिणाम है। ऐसे समय में जब कई विकसित अर्थव्यवस्थाएं सुस्ती से जूझ रही हैं, भारत की रैंकिंग में यह उछाल देश को वैश्विक निवेश के लिए और अधिक आकर्षक बना सकता है।

इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सरकार को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ₹2.11 लाख करोड़ का लाभांश देने की घोषणा ने आर्थिक जगत में हलचल मचा दी है। यह आंकड़ा बाजार की अपेक्षाओं से कहीं अधिक है और सरकार के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।

इसी तरह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूरोपीय संघ के साथ चल रही व्यापार वार्ता की समयसीमा बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस कदम से संभावित नए व्यापार युद्ध की आशंका कम हो गई है, जिसने हाल के दिनों में वैश्विक निवेशकों की चिंता बढ़ा दी थी।

विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला विश्व बाजारों में स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा और निवेशकों की भावना को सहारा देगा। ट्रम्प प्रशासन द्वारा उठाया गया यह कदम संकेत देता है कि अमेरिका फिलहाल विवाद के बजाय समाधान की दिशा में बढ़ना चाहता है।