सूरत में सांसद ने की 'दुश्मन देशों' के नाम पर रखे गए इलाकों के नाम बदलने की मांग
नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर सांसद ने कहा शहीदों का अपमान न सहें सूरतवासी
सूरत। सूरत शहर के कुछ इलाकों के नामों को लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बहस तेज हो गई है। सूरत के सांसद मुकेश दलाल ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर मांग की है कि शहर में मौजूद तुर्कीवाड, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे नाम वाले इलाकों के नामों को तुरंत बदला जाए।
सासंद मुकेश दलाल का कहना है कि यह नाम उन देशों से जुड़े हैं जो भारत के खिलाफ आतंकवाद और उग्रवाद को समर्थन देते हैं, और इस प्रकार के नाम देश की संप्रभुता और वीर जवानों के बलिदान का अपमान हैं।
सांसद ने अपने पत्र में लिखा, "आज यह दुःख और आश्चर्य का विषय है कि सूरत जैसे प्रगतिशील शहर में अब भी कुछ क्षेत्र ऐसे नामों से पहचाने जाते हैं जो भारत के कट्टर दुश्मन माने जाने वाले देशों से जुड़ते हैं। हमें उन देशों का नाम क्यों लेना चाहिए जो हमारी एकता और अखंडता के लिए खतरा बने हुए हैं?"
उन्होंने यह भी कहा कि शहर के इलाकों के नाम ऐसे होने चाहिए जो भारतीय सेना की बहादुरी, देशभक्ति और सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक हों। सांसद ने लिखा, "इन नामों से न सिर्फ देश के वीर जवानों का अपमान होता है, बल्कि यह सूरतवासियों की भावनाओं के भी खिलाफ है।"
पत्र में उन्होंने नगर निगम से यह आग्रह किया कि वे एक विस्तृत सर्वे कराएं और उन सभी क्षेत्रों की सूची तैयार करें जिनके नाम भारत विरोधी देशों से मेल खाते हैं। साथ ही इन सभी क्षेत्रों के नामों को बदलकर राष्ट्रवादी और लोक भावनाओं को दर्शाने वाले नए नाम दिए जाएं।
सांसद ने यह मांग ऐसे समय पर की है जब देश में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के विरुद्ध कड़े कदम उठाए जा रहे हैं और हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की है। उन्होंने इस पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे नाम रखना देश के विरुद्ध कार्य करने वालों को अप्रत्यक्ष समर्थन देने जैसा है।
फिलहाल नगर निगम की ओर से इस मांग पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इस मुद्दे को लेकर चर्चा गर्म है। कुछ नागरिक इसे भावनात्मक और राष्ट्रवादी कदम बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने वाला मुद्दा मानते हैं।
यह देखना अब बाकी है कि नगर निगम इस पत्र पर क्या कार्रवाई करता है और क्या सूरत के ये ऐतिहासिक नाम अब बदलेंगे।