त्रिपुरा के चिड़ियाघर में पहली बार तीन बाघ शावकों का जन्म

त्रिपुरा के चिड़ियाघर में पहली बार तीन बाघ शावकों का जन्म

अगरतला, 19 मई (वेब वार्ता)। त्रिपुरा के सिपाहीजाला चिड़ियाघर में पहली बार तीन बाघ शावकों का जन्म हुआ है। राज्य का यह एकमात्र चिड़ियाघर 1972 में स्थापित किया गया था।

चिड़ियाघर के निदेशक विश्वजीत दास ने बताया कि यह पहली बार है कि यहां बाघ शावकों का जन्म हुआ है। उन्होंने बताया कि तीन शावकों के जन्म के साथ ही चिड़ियाघर में बाघों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल फरवरी में पशु विनिमय कार्यक्रम के तहत पश्चिम बंगाल से सिपाहीजाला चिड़ियाघर में बाघों का एक जोड़ा लाया गया था। बाघिन ने 11 मई को तीन शावकों को जन्म दिया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मां और उसके तीन शावकों को बाड़े के अंदर रखा गया है और वे स्वस्थ हैं तथा बाघ को वहां से एहतियातन हटा दिया गया है। ’’

दास ने बताया कि पहली बार मां बनी बाघिन और उसके शावकों पर चौबीसों घंटे नजर रखने के लिए बाड़े के चारों ओर 11 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

उन्होंने बताया कि आगंतुकों को बाड़े में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मां और शावकों को कोई परेशानी न हो।

उन्होंने कहा, ‘‘हम बाघिन को संतुलित भोजन दे रहे हैं। ताजा मांस देने के अलावा, हम उसे दिन में दो या तीन बार सूप भी दे रहे हैं, ताकि शावकों को पर्याप्त दूध मिल सके।’’

दास ने बताया कि 2014 में एक अन्य बाघिन ने एक मृत शावक को जन्म दिया था।

वन मंत्री अनिमेष देबबर्मा ने कहा कि इन शावकों का जन्म चिड़ियाघर में बाघ संरक्षण प्रयासों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम सिपाहीजाला चिड़ियाघर को विश्वस्तरीय बनाने के प्रयास कर रहे हैं। अगर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण हमारे लोगों को प्रशिक्षित करने में मदद करता है तथा केंद्र सहायता प्रदान करता है तो हम इसे और तेजी से विकसित कर पाएंगे।’’

सिपाहीजाला चिड़ियाघर में 2024-25 में लगभग 1.70 लाख पर्यटक आए थे।