सूरत में ‘लक्ष्मी: धन, शरीर और मन’ विषय पर व्याख्यान, जय वसावडा ने दी सफलता और समृद्धि की नई परिभाषा
SGCCI द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जय वसावडा ने कहा – “लक्ष्मी केवल धन नहीं, बल्कि अनुशासन, प्रतिबद्धता और ईमानदारी का नाम है”
सूरत : दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) ने बुधवार को सरसाणा स्थित सेमिनार हॉल-ए में ‘लक्ष्मी: धन, शरीर और मन’ विषय पर एक प्रेरणादायक व्याख्यान आयोजित किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक, वक्ता और स्तंभकार जय वसावडा ने लक्ष्मी के व्यापक और आध्यात्मिक अर्थ को समझाते हुए सफलता के सूत्र साझा किए।
कार्यक्रम की शुरुआत में SGCCI के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि देवी लक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं, बल्कि जीवन के तीन प्रमुख क्षेत्रों—धन, स्वास्थ्य और मानसिक शांति—की प्रतीक हैं। उन्होंने कहा, “जहां लक्ष्मी है, वहां संतुलित जीवन है।”
जय वसावडा ने अपने व्याख्यान में बताया कि जीवन में लक्ष्मी का अर्थ केवल भौतिक संपत्ति नहीं, बल्कि प्रतिबद्धता (Commitment), अनुशासन (Discipline) और सत्यनिष्ठा (Sincerity) भी है, जिसे उन्होंने ‘CDS सूत्र’ के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया से दूरी बनाकर अपने कार्यों पर केंद्रित रहे, तो वह न केवल लक्ष्मी, बल्कि सफलता भी अर्जित कर सकता है।
उन्होंने देवी लक्ष्मी और अमृत मंथन की कथा के माध्यम से जीवन की चुनौतियों, अवसरों और मूल्यों की व्याख्या की। उनका कहना था कि "छोटी सफलताओं में उलझने के बजाय अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पैसे के बिना स्वतंत्रता अधूरी है, और व्यवसायिक सफलता के लिए अच्छा स्वास्थ्य भी उतना ही आवश्यक है।
स्मीमेरे अस्पताल के डॉक्टरों, उद्यमियों और गणमान्य लोगों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम अत्यंत प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक रहा। कार्यक्रम का संचालन SGCCI के नवनिर्वाचित अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन तत्कालीन अध्यक्ष रमेश वघासिया, मानद मंत्री नीरव मंडलेवाला, और कोषाध्यक्ष मृणाल शुक्ला की उपस्थिति में किया गया।
कार्यक्रम के अंत में जय वसावडा ने श्रोताओं के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया, जिसके बाद यह विचारशील आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।