सूरत : पारीक विकास ट्रस्ट द्वारा ऋषि परंपरा अनुसार मनायी गई महर्षि पराशर जयंती

शरद पूर्णिमा के मोके पर खीरानंद के प्रसाद के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई

सूरत : पारीक विकास ट्रस्ट द्वारा ऋषि परंपरा अनुसार मनायी गई महर्षि पराशर जयंती

सूरत पारीक विकास ट्रस्ट द्वारा पर्वत गाँव एसएमसी हॉल में अपने महान पूर्वज आराध्य देव महर्षि पराशर की जयंती को धूम धाम और ऋषि परंपरा के अनुसार मनायी गई।  संस्था के संस्थापक रामावतार पारीक ने बताया कि कार्यक्रम के शुरुआत हवन से की गई। मुख्य यजमान सत्यप्रकाश पारीक, यजमान रामावतार रैन, धारेशजी, शिवराजजी, सत्यनारायणजी, हनुमानजी (अंकलेश्वर), कैलाशजी (खतवाडी), मनीष (दयालपूरा), चाँदमलजी ने संपूर्ण दुनिया में शांति बनी रहे इसी कामना के साथ यज्ञ में आहुतियां दी। इसके बाद समाज के प्रतिभावान बच्चों को मेडल और सम्मान पत्र के साथ पुरस्कृत किया गया। समाज के लिए विशिष्ट सेवा करने के लिए बसंत पारीक (फायर), शिव राज (फोस्टा), प्रदीप, मनीष पारीक को पारीक रत्न से नवाज़ा गया।  

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संस्था के दामोदर पारीक ने महर्षि पराशर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए समाज को बताया कि सतयुग में इंसान डायरेक्ट ब्रह्म से बात कर सकता था, त्रेता युग में हवन, यज्ञ ही जीवन का आधार था, भगवान ख़ुद हवन के द्वारा ही उनका आगमन है, द्वापर में मन्त्रों से श्रवण के आधार पर पूरा महाभारत लड़ा गया और भगवान ने मंत्रों के साथ गीता का उपदेश इस युग में दिया। लेकिन कलियुग में संघ शक्ति कलयुगे यानी संगठन ही सर्वोपरि है। यानी संगठन में ही बल है। अतः समाज को संगठित रहना चाहिए।

 संस्था के गोपाल पारीक ने संस्था द्वारा चलायी जा रही मेडिकल पालिसी से समाज के लोगों को जुड़ना चाहिए, ताकि कभी कोई बीमारी आये तो आर्थिक कमजोर बंधु भी बीमारियों से लड़ सके। राजस्थान युवा संघ अध्यक्ष विक्रम सिंह शेखावत में बताया कि महर्षि पाराशर कृषि और वनस्पति के जनक है। आज जिस देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित हो और इसके जनक आपके आराध्य हो ये आपके पूरे समाज और सनातन के लिए गर्व की बात है। 

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पार्षद विजय चौमाल ने संस्था द्वारा चल रही सभी सामाजिक कार्यों की सराहना की और अन्य समाज आपका अनुसरण करे एसी इच्छा जतायी। पत्रकार महेश शर्मा में बताया कि कृषि और वनस्पति के जनक महर्षि कोई एक समाज के नहीं है पूरे सनातनी समाज को इस जयंती को मिलकर मनाना चाहिए। उन्होंने वृक्षारोपण के महत्व पर भी प्रकाश डाला। महाप्रसाद के बाद शेखावटी के गौसंत पंचमनाथजी महाराज और शास्त्री संगीत के विद्वान रमेश पारीक (बीकानेर) द्वारा शानदार भजन संध्या का आयोजन हुआ। अंत में शरद पूर्णिमा के मोके पर खीरानंद के प्रसाद के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई। सर्व पारीक समाज के साथ-साथ अन्य समाज अग्रणी घनश्याम शर्मा, दिनेश शर्मा, सज्जन महर्षि, गिरधारी राजपुरोहित, अशोक सारस्वत, विनोद सारस्वत, गंगाधर डुड्डी, शीशपाल स्वामी, मीठालाल पालीवाल की विशेष उपस्थित रही। 

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