वाशिंगटन : पोप फ्रांसिस ने ट्रम्प और हैरिस को बताया 'जीवन के खिलाफ', कैथोलिकों से छोटी बुराई को चुनने का आह्वान
एक (डोनाल्ड ट्र्म्प) अप्रवासियों के प्रति क्रूरता करता है तो दूसरा (कमला हैरिस) गर्भपात अधिकारों का समर्थक है
वाशिंगटन, 14 सितंबर (हि.स.)। ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने नाम लिए बिना कहा कि दोनों ही उम्मीदवार 'जीवन के खिलाफ' हैं। एक (डोनाल्ड ट्र्म्प) अप्रवासियों के प्रति क्रूरता करता है तो दूसरा (कमला हैरिस) गर्भपात अधिकारों का समर्थक है। ऐसे में अमेरिकी कैथोलिक मतदाताओं को 'कम शैतानी उम्मीदवार' को चुनना पड़ेगा।
अमेरिका के प्रमुख समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, 87 वर्षीय पोप फ्रांसिस ने यह अहम टिप्पणी दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया की लंबी यात्रा के बाद रोम लौटते समय विमान में संवाददाताओं से बातचीत में यह बात कही। पोप फ्रांसिस एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 11 दिवसीय लंबे दौरे पर थे। इस यात्रा में जकार्ता, पूर्वी तिमोर और सिंगापुर के पड़ाव शामिल रहे।
विमान में बातचीत के दौरान एक संवाददाता ने उनसे सवाल किया गया कि क्या गर्भपात के अधिकार का समर्थन करने वाले किसी व्यक्ति को वोट देना नैतिक रूप से स्वीकार्य होगा? इस पर फ्रांसिस ने कहा कि हर किसी को वोट देना चाहिए। मतदाता को कम बुरे को चुनना होगा। कौन सा कम बुरा है? वह महिला या वह सज्जन? मुझे नहीं पता। प्रत्येक व्यक्ति को अपने विवेक के अनुसार सोचना और निर्णय लेना चाहिए। पोप फ्रांसिस ने संवाददाता सम्मेलन में मतदाताओं को दी गई सलाह में किसी भी उम्मीदवार का नाम नहीं सुझाया। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कैथोलिक मतदाताओं को दो बुराइयों में से जो कम हो, उसे चुनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रवासियों को जीवन नहीं जीने देना क्रूरता है और बच्चे की मां के गर्भ में हत्या भी क्रूरता है।
पोप फ्रांसिस से गाजा की स्थिति के बारे में भी पूछा गया। उन्होंने कहा, '' जब आप मारे गए बच्चों के शव देखते हैं। जब आप सुनते हैं कि स्कूलों पर बमबारी की गई। यह सुनना भयानक होता है। कभी-कभी यह कहा जाता है कि यह एक रक्षात्मक युद्ध है। मैं मानता हूं कि यह मात्र युद्ध है। मैं यह कहने के लिए माफी चाहता हूं कि मुझे शांति की दिशा में कोई कदम बढ़ता नहीं दिख रहा है।''