मतदाताओं की खामोशी से उम्मीदवारों के छूट रहे पसीने

चुनाव आयोग की कड़ाई के कारण चुनावी भोंपू का शोर भी कम सुनाई पड़ रहा है

मतदाताओं की खामोशी से उम्मीदवारों के छूट रहे पसीने

खूंटी, 6 मई (हि.स.)। अनुसूचित जनजातियों के लिए सुरक्षित 11 खूंटी संसदीय सीट के लिए मतदान होने में महज एक सप्ताह रह गया है, पर चुनाव प्रचार ने अभी तक परवान नहीं चढ़ पाया है। राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा चुनाव प्रचार में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक जोर दिया जा रहा है। छोटी-छोटी सभाओं और जनसंपर्क अभियान के माध्यम से मतदाताओं को रिझाने के प्रयास किये जा रहै हैं, पर मतदाताओं की खामोशी से उम्मीदवारों के साथ ही कार्यकर्ताओं के पसीने छूट रहे हैं।

खूंटी संसदीय क्षेत्र से भाजपा, कांग्रेस, झारखंड पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशियों के अलावा दो निर्दलीय सहित सात सम्मीदवार लोकसभा पहुंचने के लिए भाग्य आजमा रहे हैं। चुनाव आयोग की कड़ाई के कारण चुनावी भोंपू का शोर भी कम सुनाई पड़ रहा है। चुनाव खर्च की अधिकतम राशि निर्धारित कर दिये जाने के कारण राजनीतिक दल भी चुनावी सभाओं, बड़े विज्ञापनों प्रचार वाहनों के बदले घर-घर जाकर मतदातेओ को अपने पक्ष में करने के लिए दिन-रात एक किये हुए हैं। हर उम्मीदवार अपनी जीत का दावा करर रहा है।

कांग्रेस नेता अरूण सांगा दावा करते हैं कि इस बार कांग्रेस खूंटी सीट से एक लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल करेगी, वहीं भाजपा नेता अरूण साबू ने कहा कि कितना ही कम हों, पर 50 हजार कें मतों से अर्जुन मुंडा जीत हासिल करेंगे। उम्मीदवारों और समर्थकों द्वारा लोगों से व्यक्तिगत संपर्क कर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कियें जाने के बावजूद मतदाता अपनी खामोशी तोड़ने को तैयार नहीं हैं। हर घर से उम्मीदवारों को लगभग यही आश्वासन मिल रहा है, चिंता क्यों कर रहे हैं, हम तो आपके साथ हैं ही।

कालीचरण मुंडा का राजनीतिक भविष्य दांव पर

भाजपा का गढ़ समझे जाने वालें खूंटी संसदीय क्षेत्र में एक ओर जहां भाजपा के समक्ष किला बचाने की चुनौती है, तो कांग्रेस के समक्ष लगातार हार का कलंक धोने की। कुछ लोगों का कहना है कि इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा का राजनीतिक भविष्य दांव पर है। कांग्रेस के टिकट पर लगातार तीसरी बार भाग्य आजमा रहे कालीचरण मुंडा यदि इस बार सफल नहीं हो पाये, तो अगले चुनाव में फिर उन्हें पार्टी का टिकट मिलेगा, इस बात की संभावना काफी कम है। ज्ञात हो कि इसके पूर्व 2014 के लोकसभा चुनाव में कालीचरण मुंडा भाजपा के दिग्गज कड़िया मुुंडा से मात खा गये थे, तो 2019 के चुनाव में वर्तमान सांसद और कें्रदीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने उन्हें 1445 मतों के अंतर से पराजित कर दिया था।

झारखंड पार्टी और निर्दलीय दे रहे हैं चुनौती

भाजपा और कांग्रेस के अलावा इस सीट पर झारखंड पर्टी की अपर्णा हंस, भारत आदिवासी पार्टी की बबीता कच्छप, बसपा की सावित्री देवी, निर्दलीय बसंत लोंगा सहित सात उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि बसपा की सवित्री देवी भाजपा के वोटों पर सेंधमारी कर सकती हैं। सवित्री देवी रौतिया( चेरो) समुदाय से आती है। इस समुूदाय का के लगभग 35 हजार से अधिक मतदाता खूंटी संसदीय क्षेत्र में हैं। परपंरागत रूप से रौतिया समाज को भाजपा का वोटर माना जाता है, लेकिन इस बार वोटों का विभाजन हो सकता है। वहीं जानकार बताते हैं कि झारखंड पार्टी की अपर्णा हंस, निर्दीय प्रत्याशी और कोलेबिरा के पूर्व विधायक बसंत लोंगा, निर्दलीय पास्टर संजय तिर्की कांग्रेस के वोट में सेंधमारी कर सकते हैं और इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है।

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