गाजर दिवस : जब गाजर की बुवाई के लिए किसान को मिला था पद्मश्री

गुजरात के खामध्रोल क्षेत्र में वर्ष 1945 से लगातार जाड़े के मौसम में गाजर की खेती की जाती है

गाजर दिवस : जब गाजर की बुवाई के लिए किसान को मिला था पद्मश्री

जूनागढ़, 4 अप्रैल (हि.स.)। पोषक तत्वों और विटामिन से भरपूर लाल-लाल गाजर देखकर किसी के मुंह में पानी आ जाता है। पशुओं को खिलाए जाने वाले गाजर को जब जूनागढ़ के किसान वल्लभभाई मारवाणिया ने इंसान के खाने के लिए उगाना शुरू किया तो सरकार ने भी इसकी सराहना की और किसान को पद्मश्री से सम्मानित किया था। गुजरात के जूनागढ़ के गाजर की तब से विशेष पहचान कायम है और यहां की खेती को पूरे गुजरात के लिए उदाहरण माना जाता है।

गुजरात के खामध्रोल क्षेत्र में वर्ष 1945 से लगातार जाड़े के मौसम में गाजर की खेती की जाती है। इस क्षेत्र में होने वाले गाजर का स्वाद और रंग विशेष होता है, जिसके कारण इसकी अलग ही पहचान कायम है। इस क्षेत्र के किसान वल्लभभाई मारवाणिया ने सर्वप्रथम वर्ष 1943 में खामध्रोल क्षेत्र में गाजर की खेती शुरू की थी। आज भी उनके पुत्र और परिवार के सदस्य गाजर की खेती कर रहे हैं। वर्ष 2019 में जूनागढ़ के किसान वल्लभभाई मारवाणिया को सरकार ने लगातार गुणवत्तायुक्त पोषक गाजर की खेती के लिए पद्मश्री देकर इस क्षेत्र के गाजर की देशभर में पहचान दी। हालांकि यही गाजर पहले पशुओं के आहार के लिए उगाई जाती थी।

मरवानिया ने गाजर की एक जैव-सशक्त किस्म मधुवन गाजर को विकसित किया है, जिसमें-बीटा कैरोटीन और लौह तत्व की उच्च मात्रा मौजूद है। इससे क्षेत्र के 150 ते अधिक किसानों को लाभ मिल रहा है। जूनागढ़ के 200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में इसकी खेती की गई है। इसकी औसत पैदावार 40-50 टन प्रति हेक्टेयर है। स्थानीय किसानों के लिए यह आमदनी का प्रमुख स्रोत बन गया है। पिछले 3 वर्षों के दौरान गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल तथा उत्तर प्रदेश के लगभग 1000 हेक्टेयर में मधुवन गाजर की खेती की जा रही है। मधुवन गाजर उच्च पौष्टिकता वाली गाजर की एक किस्म है, जिसमें बीटा-कैरोटीन (277.75 मिलिग्राम प्रतिकिलो) तथा लौह तत्व (276.7 मिलीग्राम प्रति किलो) मौजूद है। इसका उपयोग अन्य मूल्य वर्धित उत्पादों के लिए भी किया जाता है जैसे गाजर चिप्स, गाजर का रस और अचार। इसकी किस्मों में बीटा कैरोटीन और लौह तत्व की उच्च मात्रा पाई गई है।

ऐसे शुरू हुआ कारवां

वल्लभभाई मरवानिया ने देखा कि गाजर की एक स्थानीय किस्म का इस्तेमाल दूध की गुणवत्ता में सुधार के लिए पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। उन्होंने इस किस्म की गाजर की खेती शुरू की और इसे बाजार में बेचा, जिसकी अच्छी कीमत मिली। वर्ष 1970 के दशक में उन्होंने अपने गांव और आसपास के गांवों के किसानों के बीच इसके बीज वितरित किए। 1985 के दौरान उन्होंने बड़े पैमाने पर बीजों की बिक्री शुरू की। मधुवन गाजर के बीजों का उत्पादन और विपणन कार्य उनके बेटे अरविन्दभाई करता है। बीजों की औसत बिक्री 100 क्विंटल प्रतिवर्ष है। पूरे देश में बीजों के विपणन के लिए 30 स्थानीय बीज आपूर्तिकर्ता कार्यरत हैं।

सेहतमंद है गाजर

गाजर खाने के फायदे बहुत है। इसे सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है, इसमें कई तरह के पोषित तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं। गाजर की सब्जी के अलावा हलवा, अचार, मुरब्बा, पाक, सलाद, जूस, और केक भी बनाए जाते हैं। गाजर में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें विटामिन ए, विटामिन के, विटामिन सी, पोटैशियम, फाइबर, कैल्शियम, आयरन पाया जाता हैं। इसके साथ ही गाजर में भरपूर मात्रा में बीटा कैरोटीन और एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। आधे कप गाजर में 25 ग्राम कैलोरी, 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 2 ग्राम फाइबर, 3 ग्राम शुगर और 0.5 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है।

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