क्या है ये एयर स्क्रैंबलिंग प्रक्रिया जिसके सहारे भारतीय सेना ने ईराकी यात्री विमान को खदेड़ा

क्या है ये एयर स्क्रैंबलिंग प्रक्रिया जिसके सहारे भारतीय सेना ने ईराकी यात्री विमान को खदेड़ा

दो दिन पहले विमान को भारतीय हवाई क्षेत्र से बाहर खदेड़ने के लिए भारतीय वायुसेना की एयर स्क्रैंबलिंग कारगर साबित हुई

ईरान की राजधानी तेहरान से चीन के ग्वांगझू जा रहे एक यात्री विमान में बम होने की सूचना पर दिल्ली में सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई। इसी कारण भारतीय हवाई क्षेत्र में दाखिल होने वाले ईरानी विमान को मुंह की खानी पड़ी। भारतीय वायुसेन के हरकत में आते ही इस विमान के पायलट को दुम दबाकर भागना पड़ा। ईरान के इस यात्री विमान में बम होने की सूचना मिली थी। ईरानी विमान उस समय भारत के हवाई क्षेत्र में था। पायलट ने विमान को दिल्ली में उतरने की अनुमति मांगी। एयर ट्रैफिक कंट्रोल ऑफ इंडिया ने विमान को जयपुर में उतरने के लिए कहा गया लेकिन पायलट ने दिल्ली में ही उतरने की जिद शुरू कर दी। ईरानी पायलट की इस जिद पर देश की वायुसेना ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया और एयरफोर्स स्क्रैंबलिंग के जरिए इस विमान को चीन की तरफ जाने को मजबूर कर डाला। अब सवाल पैदा होता है कि ये एयरफोर्स स्क्रैंबलिंग क्या है? चलिए जानते है इसके बारे में। 

क्या है एयर स्क्रैंबलिंग


सेना की उड़ानों में एयर स्क्रैंबलिंग का मतलब सैन्य विमानों को जल्दी से जुटाने का काम है। सामान्य तौर पर शत्रुतापूर्ण विमानों को रोकने के लिए तत्काल खतरे का जवाब देना ही एयर स्क्रैंबलिंग कहलाता है। एयर फ़ोर्स लेक्सिकॉन में, स्क्रैम्बलिंग शब्द का तात्पर्य किसी आपात स्थिति में युद्धक विमानों की तैनाती से है, जो कार्रवाई में उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं। निर्देश मिलने के बाद सेना अपने विमानों को कितने समय तक मोर्चे पर तैनात करती है, इसे स्क्रैम्बल टाइम कहा जाता है। ऐसा तब किया जाता है जब अचानक से दुश्मन हमला कर दें या तत्काल हमले का खतरा हो, या फिर किसी तरह के जोखिम भरे हालात पैदा हो जाएं तो इस स्थिति में भारतीय वायुसेना खास कार्रवाई करती है।


किसी एयर स्क्रैंबलिंग की प्रक्रिया में एयरफोर्स तुरंत अपने लड़ाकू विमानों को तैयार कर कार्रवाई के लिए डट जाएगी। इसमें एयरफोर्स के विमानों को जल्द से जल्द उड़ान भरने के लिए केवल 4-5 मिनट में आकाश में होना होता है। ऐसे में पायलट कुछ ही पलों में जी-सूट पहनते हैं। इसके बाद फोन की घंटी, सायरन बजते ही पायलट हेलमेट लगाते हैं और एयरक्रॉफ्ट की तरफ तेजी से दौड़ पड़ते हैं। अगला कदम कॉकपिट जाकर इंजन स्टार्ट करते हैं और संकेत मिलते ही फर्राटे से उड़ान भरते हैं। 

ब्रिटेन में हुआ था सबसे पहले इस्तेमाल


इतिहास के अनुसार एयर स्क्रैंबलिंग शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल ब्रिटेन की लड़ाई के दौरान किया गया था। इस समय जब रॉयल एयर फोर्स के पायलट और उनके लड़ाके उड़ान भरने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। ये विमान दुश्मन के वायुयान का पता लगाने और उसकी निगरानी का काम करते थे। एक बार जब दुश्मन को रोकने का फैसला ले लिया जाता था तो चुने हुए लड़ाकू स्क्वाड्रन के हवाई क्षेत्र में एक टेलीफोन कॉल के जरिए उसे बताया जाता था और वहां मौजूद सभी एयर क्रू को स्क्रैंबल यानी लड़ाई के लिए तैयार किया जाता था। ये स्क्रैंबल ऑर्डर अपने विमानों के संग तैयार खड़े पायलटों तक देर तक घंटी की तेज आवाज के जरिए पहुंचाया जाता था। हालातों को देखते हुए इस प्रक्रिया के तहत संदेहास्पद विमान को या तो खदेड़ा जाता है या फिर उसे लैंड करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके बाद भी अगर विमान लैंड करने के लिए तैयार नहीं होता तो एयर स्क्रैंबलिंग में उसे मार गिराया जाता है।

कैसे खदेड़ा गया ईरानी विमान


आपको बता दें कि ईरानी विमान को भारतीय हवाई क्षेत्र से बाहर खदेड़ने के लिए भारतीय वायुसेना की एयर स्क्रैंबलिंग कारगर साबित हुई। एयर स्क्रैंबलिंग में वायुसेना ने पूरी प्रक्रिया के तहत इसे अंजाम दिया। इसके तहत सबसे पहले इस विमान का पीछा किया गया और फिर उसे घेर लिया गया। दिल्ली में उतरने की जिद्द करने वाले विमान को भारतीय एयरफोर्स के सुखोई-30एमकेआई ने घेरे में ले लिया था। इस समय ईरानी यात्री विमान को एक सुरक्षित दूरी बनाने को कहा। इस तरह की घेराबंदी और सुखोई की चेतावनी को देखते हुए ईरानी विमान भारतीय हवाई क्षेत्र छोड़कर चीन की तरफ अपना रुख मोड़ने के लिए मजबूर हो गया।

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