आज कारगिल विजय दिवस, जानें भारतीय जवानों की वीरता और शौरवगाथा

आज कारगिल विजय दिवस, जानें भारतीय जवानों की वीरता और शौरवगाथा

कारगिल पर भारतीय सेना की विजय के उपलक्ष में मनाया जाता है 26 जुलाई के दिन 'विजय दिवस'

1947 के बाद में अंग्रेज़ो से मिली आजादी के बाद भी भारत को ककई सारी परेशानियों का सामना करना पडा था, जिसके लिए देश को भारी कीमत भी चुकानी पड़ी थी। आजादी के दिन ही भारत को पाकिस्तान से अलग कर दिया। पर आजादी के बाद से ही पाकिस्तान लगातार कश्मीर को हासिल करने के लिए भारत से लगातार लड़ाईयां कर रहा है। कश्मीर को हासिल करने के पाकिस्तान लगातार भारत पर हमला करता रहा था, हालांकि साल 1999 के बाद उसने फिर कभी हमला करने की सोची भी नहीं। 
साल 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुये कारगिल युद्द के बाद पाकिस्तान फिर कभी भी भारत के ऊपर हमला करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। साल 1999 में आज ही के दिन यानि की 26 जुलाई को कारगिल के कुछ जिलों में जहां पाकिस्तानी घुसपैठियों ने अपना कब्जा जमा लिया था। उन्हें हराकर फिर से सभी जगहों पर  अपना आधिपत्य स्थापित किया था। युद्ध में भारत के तकरीबन 500 से अधिक जवान शहीद हुये थे।    
मेजर विक्रम बत्रा
कारगिल के विजय के लिए 'ऑपरेशन विजय' की सफलता के उपलक्ष में 'विजय दिवस' के नाम पर मनाया गया। इस दिन सभी युद्ध में शहीद हुये लोगों को याद किया जाता है, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान भी न्योछावर कर दी थी। बता दे की यह लड़ाई सबसे अधिक ऊंचाई पर लड़ी जानी वाली लड़ाइयों में से एक है। 
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए इस महत्वपूर्ण लड़ाई में 500 से अधिक जवान शहीद हुये थे और 1300 से अधिक जवान घायल हुये थे। इन सभी में कई जवान तो 30 साल से भी कम उम्र के थे। इन सभी शहीदों ने भारतीय सेना की अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। युद्ध में अपनी छाती पर गोली खाने वाले मेजर बत्रा को इस दिन खास याद किया जाता है। जिन्हें उनकी मृत्यु के बाद परमवीर चक्र प्रदान किया गया था।