जागरूकता का उत्कृष्ट उदाहरण है ये गाँव, अब तक एक भी कोरोना संक्रमित नहीं आया सामने

जागरूकता का उत्कृष्ट उदाहरण है ये गाँव, अब तक एक भी कोरोना संक्रमित नहीं आया सामने

बच्चों से लेकर बूढों, हर पुरुष और महिला निभा रहे है अपनी जिम्मेदारी, देश के लिए आदर्श है ये गाँव

इस समय देश में कोरोना वायरस के प्रकोप चरम पर है।  देश के अधिकांश राज्यों के अधिकांश अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और जरुरी दवाओं की कमी है। कही कही तो स्थिति ऐसी है कि अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं बची है, अस्पतालों में सारे बिस्तर भरे है और ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण मरीजों का दम घुट रहा है। एक ओर जहाँ पूरा देश कोरोना वायरस की चपेट में है वहीं मध्य प्रदेश के के गाँव ने जागरूकता का एक सुंदर उदाहरण पेश किया है। इस गाँव से हर किसी को सीखने की जरूरत है। मध्यप्रदेश के आगर-मालवा जिले के आधा दर्जन गाँवों में जन जागरूकता के कारण कोरोना अब तक वहां पहुँचने में विफल रही है।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के आगर मालवा के आधा दर्जन से अधिक गाँव दुनिया भर के लिए जागरूकता के महत्वता का प्रमाण प्रदान कर रहे हैं। इस गाँव में बिना किसी सरकारी आदेश के गाँव का हर व्यक्ति गाँव का चौकीदार है। यहाँ के लोगों की सतर्कता के परिणामस्वरूप, इन गांवों में अब तक कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है। जब कोरोना शुरू हुआ, तो अगार मालवा की ग्राम पंचायत परसुखेड़ी के लोगों ने गांव को कोरोना से दूर रखने का फैसला किया। इन गांवों के पुरुष गांव के बाहर पहरेदारी कर रहे हैं जबकि गांव के अंदर हर महिलाओं ने अपने घरों के सामने सैनिटाइज़र, पानी की बाल्टी और साबुन रखा है।
प्रतिकात्मक तस्वीर
ऐसे में यदि परिवार का कोई भी सदस्य आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलता है या गाँव वापस आता है या खेतों से आता है, तो उसे पहले घर के बाहर रखे साबुन से हाथ-पैर धोने पड़ते हैं।हाथ पैर ढोने के बाद ही घर में प्रवेश मिलता है। इस काम में महिलाएं अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छी तरह से निभाती हैं। इसी तरह की तस्वीर दूसरे गांव में देखी गई है।  गांव के युवाओं ने अपनी एक टीम बनाई है। उसका काम अपने गाँव में प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति की जाँच करना है, चाहे वह उसका गाँव ही क्यों न हो। ऐसे में ये युवा किसी के भी गांव में प्रवेश करने वाले व्यक्ति को जांचते है कि उसका स्वास्थ्य कैसा है?  वह कहां से आया था?  उसके कौन साथ आ रहा है? और सब सही लगने पर ही उसे गाँव के अंदर जाने दिया जाता है।
सब कुछ सही पाए जाने के बाद, उसके हाथों और पैरों को पानी और साबुन से साफ कराया जाता है और फिर उसे गाँव में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है।  गाँव की सड़क पर बैरिकेडिंग की गई है ताकि कोई बाहरी व्यक्ति गाँव में प्रवेश न कर सके। आपको बता दें कि गाँव द्वारा स्वागठित टीम में 2-2 युवा 4-4 घंटे की ड्यूटी करते हैं और गाँव की सुरक्षा करते हैं। इस समय जब हर तरफ सिर्फ कोरोना का आतंक है ऐसे में अपने गाँव को कोरोना मुक्त रखने के लिए हर कोई इन युवाओं की व्यवस्थाओं की तारीफ कर रहा है।
सीओडी एस रणदान का कहना है कि ग्रामीणों की ऐसी पहल वास्तव में सराहनीय है। यहां बड़ों से लेकर बच्चों तक हर कोई अपनी-अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने से पीछे नहीं हटता। अगर हम इस बीमारी से लड़ना चाहते हैं तो हम सभी को सावधानी बरतने की जरूरत है। ग्रामीणों की जागरूकता के कारण, इन गांवों में एक भी व्यक्ति एक दिन से कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है जो अपने आप में बहुत बड़ी बात हैं।