#WATCH | First look of Cheetahs that will be brought from Namibia to India on 17th September at KUNO National Park, in Madhya Pradesh pic.twitter.com/HOjexYWtE6
— ANI (@ANI) September 16, 2022
देश में 70 साल बाद सुनने को मिलेगा चीतों की दहाड़, नामीबिया से कल आ जाएंगे 8 चीते
By Loktej
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देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर देश को मिलने जा रहा अनोखा सौगात, 1952 से नहीं है देश में चीते
आज से 70 साल हिंदुस्तान चीतों का घर हुआ करता था। लेकिन शिकार और दूसरी वजहों से चीते 1952 में भारत से विलुप्त हो गए। अब पूरे 70 साल बाद एक बार फिर हिंदुस्तान में चीते आबाद होने जा रहे हैं। कल 17 सितंबर 8 चीतों को नामीबिया से भारत लाया जाएगा। इन तेंदुओं को विशेष चार्टर फ्लाइट से ग्वालियर लाया जाएगा।
सीधे ग्वालियर आएंगे तेंदुआ
आपको बता दें कि दक्षिण अफ्रीका से आठ तेंदुओं को पहले भारत में जयपुर लाया जाना था, लेकिन रसद संबंधी कठिनाइयों के कारण योजना में बदलाव किया गया है। तेंदुओं को चार्टर हेलीकॉप्टर से ग्वालियर से मध्य प्रदेश के कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) ले जाया जाएगा। इसके चलते जयपुर एयरपोर्ट के पास जयपुर पहुंचने वाले कर्मचारी-अधिकारियों के लिए बुक किए गए कमरों को कैंसिल कर दिया गया है। बता दें कि वह आज रात 8 चीतों के साथ एक विशेष विमान नामीबिया से भारत के लिए रवाना होगा और 17 सितंबर को सुबह 8:00 बजे ग्वालियर पहुंचेगा। वहां से तेंदुओं को हेलिकॉप्टर से कुनो पार्क ले जाया जाएगा। कल यानी 17 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। ऐसे में इसी दिन भारत की धरती पर करीब सात दशक बाद चीतों के एक दल के आने से इस साल पीएम का जन्मदिन खास होने वाला है।
भूखे पेट रहेंगे चीते
खास बात यह है कि नामीबिया से भारत आने वाले चीतों को हवाई यात्रा के दौरान खाली पेट रखा जाएगा। वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नामीबिया से उड़ान भरने के बाद चीतों को सीधे कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में खिलाया जाएगा। एहतियात के तौर पर यह जरूरी है कि यात्रा के दौरान जानवरों का पेट खाली रहे। इससे जानवर यात्रा के दौरान जी मिचलाने जैसी समस्याओं से बच सकते हैं।
30 दिनों तक रखा जाएगा क्वारेंटाइन
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कुनो पहुंचने के बाद चीतों को 30 दिनों तक एक बाड़े में रखा जाएगा। इस दौरान उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जाएगी। इसके बाद उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा। पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए न्यूनतम 25-30 चीतों की आवश्यकता होती है, इसलिए 5 वर्षों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुछ और चीते भारत लाए जाएंगे।
1947 से भारत में विलुप्त है चीता
तेंदुओं के अवैध शिकार की घटनाओं के कारण यह प्रजाति संकटग्रस्त हो गई थी। मध्य प्रदेश में कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 में देश में बचे आखिरी 3 तेंदुओं को मार डाला था। फिर 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर चीता को विलुप्त घोषित कर दिया।