पथरी के स्थान पर निकाल दी मरीज की किडनी, अब अस्पताल को देना पड़ेगा जुर्माना

पथरी के स्थान पर निकाल दी मरीज की किडनी, अब अस्पताल को देना पड़ेगा जुर्माना

पथरी की सर्जरी करने का कह कर निकाल दी थी किडनी, कंज़्यूमर कोर्ट ने 7.5 प्रतिशत व्याज के साथ मुआवजे की रकम देने का दिया आदेश

व्यक्ति जब भी किसी स्वास्थ्य पीड़ा से परेशान होता है तो वह अस्पताल का सहारा लेता है। हालांकि यदि अस्पताल ही किसी की जान के साथ लापरवाही कर दे तो, कुछ ऐसा ही हुआ गुजरात के एक मरीज के साथ। जहां खेड़ा जिले के वांघरोली गाँव के देवेंद्रभाई रावल को कमर में काफी तेज दर्द शुरू हुआ था और साथ में उन्हें म्मूतर विसर्जन करने में काफी दिक्कत हो रही थी। इसके चलते उन्होंने डॉ. शिवुभाई पटेल की सलाह ली थी।
जांच में पता चला की देवेंद्रभाई को 14 एमएम की पथरी थी। इसके चलते रावल को अच्छी सुविधा वाली अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी। हालांकि रावल ने उसी अस्पताल में सजरी करवाने का निर्णय किया। 3 सितंबर 2011 को देवेंद्रभाई का ऑपरेशन किया गया। सर्जरी के बाद डॉक्टर ने बताया कि देवेंद्रभाई के शरीर में से पथरी के स्थान पर उनकी पूरी किडनी ही निकालनी पड़ी थी। हालांकि यह उनके अच्छे के लिए ही कहा गया था। इसके बाद रावल को जब यूरिन पास करने के लिए कहा गया तो उन्हें काफी तकलीफ हुई। इसके चलते उन्हें नडियाद की किडनी अस्पताल में अस्पताल लेकर जाना पड़ा। हालांकि समय के साथ उनकी स्थिति और भी बिगड़ती गई और जनवरी 8, 2012 में मूत्रपिंड संबंधित तकलीफ़ों के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। 
इसके चलते मरीज की पत्नी मीनाबेन ने नडियाद कंज़्यूमर दिस्प्युट रिड्रेसल कमीशन का संपर्क किया था। जिसमें फोरम ने साल 2012 में डॉक्टर, अस्पताल और बीमा कंपनी को जिम्मेदार मानते हुये उन्हें 11.23 लाख का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। अस्पताल और बीमा कंपनी के बीच भुगतान को लेकर विवाद होने पर जिला कमीशन के आदेश पर पूरा मामला राज्य कमीशन में गया। जहां स्टेट कमीशन ने बताया की अस्पताल के पास अस्पताल के और बाहर के मरीजों के लिए बीमा पॉलिसी है। स्टेट कमीशन ने बताया की मरीज की सर्जरी सिर्फ पथरी निकालने के लिए थी तथा परिवार और मरीज की अनुमति भी मात्र इस बारे में ही ली गई थी। 
हालांकि इसके बावजूद मरीज की किडनी निकाल ली गई। ऐसे में यह गलती अस्पताल और डॉक्टर की है। ऐसे में बीमा कंपनी उसका भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं है। इसके चलते अस्पताल को साल 2012 से 7.5 प्रतिशत व्याज के साथ परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।
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