मोहम्मद रफी के गाने सुनकर लौट आई कोरोना पीडित की याददाश्त

मोहम्मद रफी के गाने सुनकर लौट आई कोरोना पीडित की याददाश्त

बेहोश होने के बाद नहीं पहचान पा रहे थे परिवार के किसी भी सदस्य को, म्यूजिक थेरेपी की सहायता से वापिस आई याददाश्त

कोरोना् काल में कोरोना की  उपचार के दौरान नई-नई आश्चर्यजनक जानकारियां सामने आ रही।ऐसे ही और एक जानकारी सामने आई है जिसमें की राजकोट में रहने वाले तुलसीदास नाम के अधेड़ को 15 अप्रैल के रोज कोरोना के हो गया था। उनके फेफड़ों पर 50% इन्फेक्शन लग चुका था। एक दिन वह अचानक बेहोश हो गए और जब उन्हें होश आया तो उनकी याददाश्त चली गई थी। वह अपने परिवार वालों को भी नहीं पहचान पा रहे थे।
तुलसीदास याददाश्त वापस लाने के लिए उनकी बेटी भानूबेन ने तुलसीदास को गाने पसंद हैं उन्हें गीत प्रेम को याद करवाया और यूट्यूब में से रफी के गीत सुना कर पूछती थी कि वह इस गाने को पहचान के बताए। मात्र इतना ही नहीं उन्हें दिन भर गाने भी सुनाते रहती थी। उनके परिवारजनों को भरोसा था कि तुलसीदास को इसी तरह से ठीक किया जा सकता है और आखिरकार धीरे-धीरे मोहम्मद रफी के गाने सुनते सुनते तुलसीदास अपने परिवार को भी पहचानने लगे।
इसी तरह से उनके परिवार की भावना बेन ने अन्य एक उदाहरण बताते हुए कहा कि मेरा बेटा ध्रुव जब 3 साल का था तो उसे दिमाग पर बुखार के कारण बोलने की शक्ति भी चली गई थी तब उसके दादा तुलसीदास ने म्यूजिक थेरेपी दी थी और 3 साल की मेहनत के बाद बोलने लगा था। इस परिवार के सदस्य म्यूजिक से जुड़े हुए हैं। भावनाबेन सूफी संगीत पर पीएचडी कर रही हैं। उनकी बड़ी बहन कृष्णा पोरबंदर में सुरभि कलावृंद संगीत की संस्था चलाती हैं। राजकोट कोविड सेंटर में म्यूजिक थेरेपी से मरीजों को स्वस्थ्य होने में मदद की जाती है।जाती है।