दशहरे के त्योहार पर भी दिख रहा कोरोना का असर, नहीं मिल रहा कारीगरों को व्यापार

दशहरे के त्योहार पर भी दिख रहा कोरोना का असर, नहीं मिल रहा कारीगरों को व्यापार

रावण बनाने के कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि आने के साथ ही ऑर्डर में भी हुई है काफी कटौती

कोरोनाकाल में कई व्यापार की हालत बिगड़ी है। महामारी के कारण विभिन्न त्योहार तथा उससे जुड़े बिजनेस को काफी असर हुई है। ऐसा ही कुछ देखने मिल रहा है दशहरे के त्योहार पर भी कोरोना महामारी की असर दिखाई दे रही है। महामारी के कारण दशहरे के दौरान रावण बनाने के कारोबार से जुड़े कारीगरों के पास अधिक व्यापार ना होने की शिकायत सामने आ रही है। 
उल्लेखनीय है की गुजरात में नवरात्रि के बाद मनाए जाने वाले दशहरे के त्योहार का काफी महत्व होता है। हर साल लोग बड़े धूमधाम से रावण दहन कर इस त्योहार को मनाते है। हर साल राज्य भर में से तकरीबन 90 से 100 जीतने रावण के पुतले बनाने का ऑर्डर मिल जाता था। राज्य में बड़े बड़े रावण के पुतले बनाने वाले कुशल कारीगर नहीं है ऐसे में हर साल आग्रा से कई कारीगर अहमदाबाद आकर रावण बनाते है। हर साल तकरीबन 100 जीतने ऑर्डर उन्हें मिल जाते थे। 
हलङ्कि इस बार कोरोना महामारी और पुलिस की अनुमति नहीं मिले होने के कारण पूरे राज्य से रावण बनाने के काफी कम ऑर्डर मिले है। अब तक पूरे राज्य में से मात्र 25 ही ऑर्डर मिले है, इसके चलते कारीगरों में भी काफी निराशा स्थापित हो गई है। रावण को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमत भी कोरोना के कारण आसमान छू रही है जिससे 1 रावण को बनाने की लागत में 30-40% की वृद्धि हुई है। ऐसे में नुकसान सहन कर के भी ठेकेदारों को रावण बनाना पड़ रहा है। उसमें भी तंत्र से अभी यह पता नहीं चल पाया है कि अहमदाबाद शहर में दशहरा मनाया जाएगा या नहीं, जिसके चलते अहमदाबाद शहर से रावण बनाने के बहुत कम ऑर्डर मिले हैं। अहमदाबाद शहर की तुलना में सूरत, वडोदरा और सौराष्ट्र से रावण बनाने के सबसे ज्यादा ऑर्डर ठेकेदार को मिले हैं। तंत्र द्वारा यदि रावण दहन को लेकर कोई स्पष्ट सूचना मिले तो ठेकेदारों को और भी अधिक ऑर्डर मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है। 

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