छात्राओं के साथ शर्मनाक व्यवहार के गुनहगार!

छात्राओं के साथ शर्मनाक व्यवहार के गुनहगार!

परीक्षा का संचालन व्यवस्था कर रही एनटीए ने घटना को झुठलाने की कोशिश की
हाल ही में 17 जुलाई को नीट परीक्षा देने आईं छात्राओं को बेहद शर्मनाक व्यवहार का सामना करना पड़ा जब उनके इनर वस्त्र में मैटेलिक हुक लगा होने के कारण एक परीक्षा केन्द्र पर अंतःवस्त्र उतारने के लिए मजबूर कर दिया गया। अब समाचार है कि छात्राओं के इनर वियर उतरवाने के मामले में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार लोगों में परीक्षा केंद्र बनाए गए मार्थोमा कॉलेज की दो महिला सफाईकर्मी और सेंटर की सुरक्षा में तैनात एजेंसी की तीन महिला कर्मचारी शामिल हैं। ताज्जुब की बात यह है कि इस केन्द्र पर पचासों छात्राओं के इनर वियर उतरवाने की धृष्टता की गई इस के बावजूद परीक्षा का संचालन व्यवस्था कर रही एनटीए ने अत्यंत शर्मनाक तरीके से इस घोर शर्मनाक घटना पर जिम्मेदारी लेने के स्थान पर झुठलाने की कोशिश की। अब पुलिस जांच में सच सामने आ रहा है।
केरला के परीक्षा केंद्र पर जो बेहूदगी की गई वह सभ्य समाज की अस्मिता पर हमला है
किसी भी सामान्य अथवा प्रवेश परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग रोक कर परीक्षा की शुचिता बनाए रखना जरूरी है लेकिन यदि तमाम गाइडलाइंस का अनुपालन करने के बाद भी किशोर व युवा छात्राओं को सिर्फ ब्रा या पेन्टी में लगे मैटेलिक हुक के लिए अंतःवस्त्रों को उतारने के लिये मजबूर किया जाए तो इस से होने वाले मानसिक व दैहिक कुठाराघात का अंदाजा लगाया जा सकता है। केरला के परीक्षा केंद्र पर जो बेहूदगी की गई वह सभ्य समाज की अस्मिता पर हमला है। इस मामले अभी तक सिर्फ दो महिला सफाई कर्मियों व तीन महिला सुरक्षा गार्ड कर्मचारियों को गिरफ्तार कर घटना के जिम्मेदार केंद्र प्रभारी व व्यवस्थापकों को बचाने की कोशिश की गई है क्या कर्मचारी बिना केंद्र प्रभारी की सहमति या निर्देश के इस तरह की बेहूदगी कर सकते हैं और यदि कर रहे थे तो इसकी निगरानी कर रोकने की जिम्मेदारी किसकी थी? 
इस मामले में छात्राओं के परिजनों ने कोट्टारका पुलिस में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पांच लोगों को पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद और शिकायतकर्ता के बयानों के आधार पर हिरासत में लिया था. पूछताछ के बाद सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस को पता चला कि एजेंसी की कर्मचारी परीक्षा देने आईं लाइन में खड़ी छात्राओं से एक-एक कर पूछताछ कर रही थीं कि क्या उनके इनर वियर में हुक है। हां कहने पर वे छात्राओं को एक छोटे से कमरे में भेज रही थीं। वहीं दोनों सफाईकर्मी कमरे के बाहर खड़ी थीं।
इस प्रकरण का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी ) छात्राओं के इनर वियर उतरवाने के आरोप को खारिज कर दिया । एजेंसी का कहना है कि ऐसी कोई घटना उनकी जानकारी में नहीं आई है। एजेंसी के अनुसार, 17 जुलाई को मार्थोमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, अयूर, कोल्लम में नीट के लिए उपस्थित होने वाले एक उम्मीदवार को अपने इनर वियर हटाने के लिए कहा गया था।इस मामले में एनटीए को अपनी जिम्मेदारी स्वीकारते हुए खेद व्यक्त करना चाहिए था लेकिन इस के अधिकारियों ने शुरु में घटना की जानकारी हाेने से ही इंकार कर दिया जब मामले को मीडिया में जबरदस्त विरोध किया गया तब एनटीए और सरकारी अधिकारियों की नींद खुली और उन्हें परीक्षा केंद्र पर तैनात कर्मचारियों की अक्षम्य बेशर्मी भरे दुर्व्यवहार की संवेदनशीलता का अहसास हुआ। 
 एक नीट परीक्षार्थी  के पिता ने आरोप लगाया थाकि उनकी बेटी को बताया गया कि मेटल डिटेक्टर से इनर वियर के हुक का पता चला है, इसलिए उसे इसे उतारना होगा. लगभग 90% छात्राओं को अपने इनर वियर को उतारना पड़ा और इसे एक स्टोर रूम में रखना पड़ा. परीक्षा देने के दौरान परीक्षार्थियों को मानसिक रूप से परेशान किया गया। 
इस पिता ने कहा कि उनकीबेटी को अपने इनरवियर को हटाने के लिए कहा गया था जब एनटीए ड्रेसकोड में इसका उल्लेख नहीं था, मना करने पर उन्होंने कहा कि वे उसे परीक्षा में शामिल नहीं होने दे सकते, 90% छात्राओं से भी यही पूछा गया था, उनमें से कई रो रही थीं।
शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर मामले के तथ्य जुटाने को कहा गया
अब बताया गया है कि मीडिया रिपोर्टों के जरिए शिक्षा मंत्रालय को इस मामले की जानकारी हुई थी। इसके बाद मंत्रालय ने एनटीए को परीक्षा केंद्र में मौजूद लोगों से घटना के बारे में सभी तथ्य जुटाने के लिए कहा था. इसके बाद एनटीए ने जांच कमेटी बनाई है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जाहिर है कि नीट जैसी बड़ी प्रवेश परीक्षा का आयोजन करने वाले एनटीए जैसी संस्था ने किस वाहियात तरीके से पहले मामले को झुठलाने की कोशिश की यह खुद में शर्मनाक है तथा इसके अधिकारियों की छात्राओं के सम्मान के प्रति असंवेदनशील व लापरवाह होने की पुष्टि करता है। क्या इन लोगों को जो मोटी सेलरी लेकर सरकारी पदों पर बैठे हैं इतना भी अहसास नहीं है कि साल भर मेहनत कर परीक्षा में शामिल होने के लिए आए छात्राओं के साथ ऐसा दुर्व्यवहार होने पर वह किस दबाव व मानसिक तनाव में परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया यह नितान्त लज्जा जनक व शर्मसार करने वाला है। यह गंभीर जांच का विषय है कि केरल के इस परीक्षा केंद्र पर छात्रों की अंतर्वस्त्र ब्रापेन्टी उतरवाने का शैतानी विचार किसके दिमाग की उपज थी तथा इतना दुस्साहस करने  की हिम्मत कैसे हो गई। सिर्फ 5 कर्मचारियों की गिरफ्तारी से मामले पर परदा नहीं डाला जाना चाहिए बल्कि इसके लिए जिम्मेदार बड़े अधिकारियों के गिरेबान तक भी कानून का हाथ पहुंचना चाहिए।
 वही एक अन्य परीक्षा रीट परीक्षा (राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर) के दूसरे दिन  रविवार को भी कई एग्जाम सेंटर्स पर छात्राओं के साथ सख्ती से पेश होने का मामला सामने आया है. इस दौरान कहीं पर छात्राओं के कुर्ते की लंबी बाजू को कैंची से काटा गया तो कहीं दुपट्टे तक उतरवा दिए गए. कई जगहों पर हाथों की अंगूठियां, कंगन से लेकर जेवर और मन्नती धागे तक उतरवा दिए गए हैं। सरकार को इन सब मामलों की जांच कर एक आचार संहिता के साथ नियमावली जारी करनी चाहिए ताकि परीक्षार्थियों को किसी असम्मान जनक स्थिति का सामना न करना पड़े।

मनोज कुमार अग्रवाल 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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