सूरत : जिले के जंगलों में पिछले दो वर्षों में 40 से अधिक तेंदुओं को चीप लगाई जा चुकी है

सूरत  : जिले के जंगलों में पिछले दो वर्षों में 40 से अधिक तेंदुओं को चीप लगाई जा चुकी है

यह चीप तेंदुओं की संख्या, उनकी पुनरावृत्ति और वे किस क्षेत्र में घूम रहे हैं, यह जानने की सुविधा देती है

सूरत वन विभाग की 7 महिलाकर्मीओं ने पिछले दो साल में 40 तेंदुओं में चीप लगाई है
महिलाएं न केवल पालतू जानवरों के प्रति बल्कि क्रूर जंगली जानवरों के प्रति भी बहुत संवेदनशील होती हैं और यह बात सूरत जिले की 7 महिलाओं ने साबित की है। इन सात महिलाओं ने सूरत जिले में पिछले दो साल में देखे गए एक तेंदुए की पूंछ पर चिप लगा दी है। उनकी हर हरकत पर नजर रखने के लिए 40 तेंदुए को चिप लगाया गया है।
दक्षिण गुजरात के जंगलों में तेंदुओं की आवाजाही सबसे अधिक देखने को मिलती है। खासकर रिहायशी इलाकों में अक्सर भोजन की तलाश में आते हैं। जानवरों के साथ-साथ इंसानों का भी शिकार करते हैं। पिछले दो साल से वन विभाग ने सूरत जिले के जंगलों में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तेंदुओं की आवाजाही पर नजर रखने के लिए चीप लगाने की कार्यवाही शुरू कर दी है। और यह कार्य सूरत जिले के जंगलों में कार्यरत महिला वन अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। पिछले दो वर्षों में 40 से अधिक तेंदुओं में इस प्रकार की चिप लगाई गई है।
इस संबंध में मांडवी दक्षिण के खोडंभा रेंज 2 में कार्यरत आरएफओ नेहाबेन चौधरी ने कहा, ''मांडवी और उसके आसपास कई तेंदुए रहते हैं। दिसंबर से जनवरी के महीनों के दौरान तेंदुओं की आवाजाही बढ़ जाती है और वे खुराक को ढुंढते हुए बाहर आ जाते हैं। इस समय में विशेष रुप से गन्ने की कटाई का काम होता है हमें किसानों की और भी तेंदुए की शिकायतें मिलती हैं। इस लिए तेंदुए की अधिक आवाजाही होती है ऐसे स्थल पर पिंजरा रख देते है। 
जब वह पकड़ा जाता है, तो हम उसे दूसरे पिंजरे में स्थानांतरित कर देते हैं, जिसमें वह हिल नहीं सकता है, और फिर हम उसकी पूंछ की शुरुआत में ‌इंजेक्शन के साथ एक चिप लगाते हैं। ऐसा करते समय हमें बहुत सावधान रहना पडता है। क्योंकी वह हमे पंजे से नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। हमने इन 2 वर्षों में 40 से अधिक तेंदुओं को इस तरह से चीप लगाई है। यह चीप आपको तेंदुओं की संख्या, उनकी पुनरावृत्ति और वे किस क्षेत्र में घूम रहे हैं, यह जानने की सुविधा देती है। महिला फोरेस्टर प्रीति बेन, भारती बेन , नीलांबेन, उषाबेन काम करती हैं। अब हमें यह काम करने की आदत होने से डर नहीं लगता।

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