सूरत : 17 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे दंपति ने बुढ़ापे में साथ रहने का फैसला किया

सूरत : 17 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे दंपति ने बुढ़ापे में साथ रहने का फैसला किया

2004 से मुंबईवासी पति से अपने और अपने तीन बच्चों के भरण-पोषण के लिए संघर्ष कर रही थी

सूरत के लिंबायत डिंडोली क्षेत्र की  विवाहित पिछले 17 वर्षों से अपने और अपने तीन बेटों के भरण-पोषण के लिए मुंबईवासी पति के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रही है, जिसे बुजुर्गो के समझााने के के बाद समाधानकारी रवैया अपनाकर अंत लाया। तीनों पुत्रों की शादी होने के बाद आखिरी पड़ाव में दंपत्ति के बीच हुए मनमुटाव को भूलकर फिर से सहजीवन शुरू करने का निर्णय लिया।
डिंडोली क्षेत्र की रहने वाली मायाबेन की शादी मुंबई डोक यार्ड में नौकरी करने वाले संदीपभाई से हुई थी। दांम्पत्य जीवन दौरान तीन पुत्रों का जन्म होने के बाद अचानक पति- पत्नी के बीच तकरार हुई थी, जिससे विवाहिता ने संतानों के साथ मायके में आश्रय लिया था। साल 2004 से अपने पति के खिलाफ मायाबेन ने अपने और तीन संतानों  के लिए गुजारा भत्ता देने के लिए सूरत फैमिली कोर्ट की स्थापना के बाद से कानूनी लड़ाई लड़ रही थी। पिछले 17 साल से पत्नी तीन से चार चरणों में गुजारा भत्ता की राशि बढ़ाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही थी।
वर्तमान में तीनों पुत्रों की औसत उम्र 35 वर्ष से अधिक है। तीनों पुत्रों की शादी के बाद वे एक अलग संसार में व्यस्त हो गए है। वहीं उनके पति संदीपभाई भी सेवानिवृत्त हुए है। इसलिए 60 वर्षीय मायाबेन और उनके पति संदीपभाई के बीच वृद्धावस्था के बाद के आखिरी पड़ाव में समझौतावादी रवैया अपनाकर सुलह करने के लिए मध्यस्थता की गई। उनकी पत्नी छायाबेन की ओर से कीर्तनबेन साल्वे और पति की ओर से संदीपभाई के बड़े भाई ने पिछले 17 वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे दंपति के बीच सुलह का रवैया अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अतीत को भूलकर  बुढ़ापे में दोनों जोड़ों ने एक बार फिर सहजीवन बीताने का  फैसला किया और सुलह समझौते पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी और कानूनी लड़ाई पर पूर्ण विराम लगा दिया।
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