सूरत : स्तनपान विकल्प नहीं संकल्प है , पहले 6 महीनों तक शिशु को विशेष रूप से स्तनपान कराएं : डॉ. प्रशांत कारिया

सूरत :  स्तनपान विकल्प नहीं संकल्प है , पहले 6 महीनों तक शिशु को विशेष रूप से स्तनपान कराएं : डॉ. प्रशांत कारिया

जब बच्चा पैदा होता है तो बहुत सक्रिय होता है, इसलिए जन्म के पहले घंटे में ही स्तनपान कराना चाहिए जन्म के बाद के पहले घंटे को गोल्डन आवर भी कहा जाता है

एकेडेमी ऑफ़ पिडियाट्रिक्स गुजरात, एन.एन.ऍफ़ गुजरात और सूरत पिडियाट्रिक एसोसियेशन चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह का उत्सव मनाया गया
विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत सूरत की विविध कोलेजमें स्तनपान और उसका महत्त्व समजाने के लिए पी.टी. महिला कोलेजकी छात्रों की सहायतासे सूरत पिडियाट्रिक एसोसियेशन चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह का उत्सव मनाया गया।  
उसके अंतर्गत सास्मा कॉलेज, एसपीटीएमसी, स्कूल ऑफ कोमर्स एन्ड मेनेजमेन्ट, श्रीराम कृष्ण इंस्टीट्युट, के.पी. कोमर्स, वाडिया वुमेन्स कॉलेज, एमटीबी आर्टस कॉलेज, वी.टी.चोक्सी लॉ. कॉलेज, मेटास एडवान्टीस अठवालाईन्स, गर्ल्स पोलिटेक्नीक, एसपीबी कॉलेज, एस.आर.लुथरा इंस्टीट्युट ऑफ मेनेजमेन्ट, पी.टी.सायन्स , गांधी एन्जीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को डॉ. सलीम हिरानी की देखरेख और मदद से पी.टी. महिला कोलेजकी छात्रों की सहायतासे सूरत पिडियाट्रिक एसोसियेशन चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह का उत्सव मनाया गया।  मोम्स टच ग्रुप की गर्भवती महिलाओं को डॉ. प्रशांत कारिया और डॉ. प्रियंका अनाजवाला ने माता और बच्चों को हो रहे फायदे के बारे में समजाया। 
 डॉ. प्रियंका अनाजवाला ने कहा कि अपने बच्चे को स्तनपान कराने से बच्चे और मां के बीच प्यार का अटूट बंधन बनाती है। मां का प्रसवोत्तर रक्तस्राव भी कम हो जाता है और मां का शरीर फिट हो जाता है। मां के स्तन कैंसर और गर्भाशय के कैंसर की संभावना कम हो जाती है।  
स्तनपान के साथ ही बच्चे के पांचो इन्द्रियों का विकास होता है
बच्चे की सही पोजीशन निप्पल के आसपास का अधिकांश काला क्षेत्र बच्चे के मुंह में होता है (निचला हिस्सा अधिक होता है)। बच्चे का मुंह बहुत चौड़ा है। बच्चे का निचला होंठ बाहर की ओर निकला हुआ है। बच्चे की दाढ़ी स्तन के करीब या स्तन के बहुत करीब होती है। 
 डॉ. प्रशांत कारियाने बच्चों के लाभों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब बच्चा पैदा होता है तो बच्चा बहुत सक्रिय होता है, इसलिए बच्चे को जन्म के पहले घंटे में ही स्तनपान कराना चाहिए। जन्म के बाद के पहले घंटे को गोल्डन आवर भी कहा जाता है।
जैसे ही बच्चा पैदा होता है, उसे माँ के स्तन पर रखने से बच्चे को त्वचा से त्वचा के संपर्क का पहला संवेदी अनुभव मिलता है। जब बच्चा मां के दोनों स्तनों के बीच में होता है तो बच्चा मां के दिल की धड़कन को महसूस कर सकता है और यह उसके सुनने की दूसरी इंद्रिय का विकास है। उस समय वह माता का मुख देखता है और उसकी तीसरी इंद्रिय देखना  विकसित होती है। उस समय जब बच्चे को मां के स्तन में दूध की गंध आती है, तो उसकी चौथी इंद्रिय स्मेल विकसित होने लगती है और जब बच्चा स्तनपान करना शुरू करता है, तो स्वाद की भावना विकसित होती है। इस प्रकार पांचों इंद्रियों का विकास स्तनपान के पहले घंटे में शुरू हो जाता है। है इस विधि को वैज्ञानिक रूप से कंगारू मदर केयर भी कहा जाता है।
डॉ. प्रशांत करिया द्वारा आगे कहा गया है कि जो बच्चे विशेष रूप से स्तनपान करते हैं उनका आईक्यू भी अन्य बच्चों की तुलना में अधिक होता है।
स्तनपान के बारे में घर ले जाने का संदेश देते हुए डॉ. प्रशांत कारिया ने कहा कि स्तनपान हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है।  स्तनपान कराने से पहले गलती से भी जन्मघुट्टी न दें। जन्म के पहले घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान कराना शुरू कर दें। पहले दूध में मां को कोलोस्ट्रम (खेरू) जरूर देना चाहिए। पहले 6 महीनों तक शिशु को विशेष रूप से स्तनपान कराएं। 6 महीने के बाद पूरक आहार देना शुरू करें। एक माँ अपने बच्चे को 2 साल या उससे अधिक समय तक स्तनपान करा सकती है।



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