अब जितनी यात्रा उतना टोल टैक्स, फास्ट टैग सिस्टम के बेहतर विकल्प की तलाश

अब जितनी यात्रा उतना टोल टैक्स, फास्ट टैग सिस्टम के बेहतर विकल्प की तलाश

जर्मनी और रूस जैसे देशों में इस्तेमाल होने वाली सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का हो रहा अभ्यास

1 अप्रैल से टोल टैक्स में इजाफे का बोझ सहन करने वाले वाहन चालकों के लिए अच्छी खबर है।  सरकार द्वारा फास्टटैग सिस्टम की जगह पर बेहतर विकल्प वाली नई सिस्टम लाने का आयोजन किया जा रहा है। इसके अनुसार अब कार नेशनल हाइवे और एक्स्प्रेस वे पर जीतने किलोमीटर तक दौड़ेगी, उसे उतना ही टोल देना पड़ेगा। जर्मनी और रूस जैसे देशों में यह सिस्टम पहले से ही लागू है। यदि भारत में भी यह सिस्टम लागू होती है तो आपकी कार हाइवे और एक्सप्रेस वे पर जितना सफर तय करेगी, उतना ही टैक्स कटेगा। 
फिलहाल भारत में एक टोल से दूसरे टोल के बीच के अंतर का सारा टोल टैक्स लिया जाता है। फिर चाहे आपकी यात्रा बीच में ही क्यों ना समाप्त हो गई हो। हालांकि इस नई सिस्टम के तहत सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम द्वारा टॉल टैक्स वसूला जाता है। इसका पायलट प्रोजेक्ट भी चल रहा है जिसके अंतर्गत हाइवे पर गाड़ी जितनी यात्री करेगी, उस पर उतना ही टॉल टैक्स लगेगा। 
बात करें जर्मनी की तो फिलहाल तकरीबन सभी गाड़ियों में सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम इन्स्टाल की हुई है। गाड़ी जैसे ही टॉल रोड पर प्रवेश करती है, टैक्स की गिनती शुरू हो जाती है। गाड़ी चालक के अकाउंट से टॉल टैक्स कट जाता है। हालांकि यह सिस्टम लागु करने के लिए ट्रांसपोर्ट पॉलिसी में भी कुछ बदलाव जरूरी होंगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम काम कर रही है। देशभर में फिलहाल 1.37 लाख गाड़ियों को इस नई सिस्टम के पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। जिसकी रिपोर्ट कुछ ही समय में सामने आ सकती है।
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