मय्युकोमायरोसिस; ये बीमारी तो कइयों का दिवाला पिटवायेगी

मय्युकोमायरोसिस; ये बीमारी तो कइयों का दिवाला पिटवायेगी

5,000 रुपये से 7,000 रुपये प्रति शीशी कीमत वाली कम से कम 100 एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है और अगर उसे सर्जरी की जरूरत पड़ती है तो बिल और बढ़ जाता है

कोरोना की दूसरी लहर के आतंक से जूझ रहे देश में एक नया खतरा सामने आ चुका है। देश भर में ब्लैक फंगस यानी म्युकर मायकोसिस का अटैक देखने को मिल रहा है। गुजरात के कई शहरों में इसके कारण होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है। गुजरात के अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी इस बीमारी से कई मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी हैं तो कई मरीजों की मौत हो चुकी हैं तो कई मरीजों की इस बीमारी के कारण जान भी चली गई है। ब्लैक फंगस या म्युकोरमाईकोसिस के उपचार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शनों की संख्या कम और इस इंजेक्शन की कीमत बहुत अधिक हैं। सबसे बड़े बात मरीज को एक बार में सौ जितनी डोजेन देनी पड़ती हैं। ऐसे में किसी आम आदमी के लिए ये बहुत ही टेढ़ी खीर हैं। ऐसे में इस बीमारी से निपटने में परिवारों की वित्तीय बचत भी निपट सकती है।
जानकारी के अनुसार म्यूकोरमाइकोसिस का किसी निजी अस्पताल में इलाज के लिए एक मरीज को 10 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच खर्च करना होगा। इसके बाद भी मरीजों के मरने का खतरा बना रहता है। ऐसे में अगर किसी गंभीर मरीज की सर्जरी करनी पड़ती है, तो उसे 50 लाख रुपये तक का खर्च भी उठाना पड़ सकता है। इस लागत में इंजेक्शन और अन्य उपचार शामिल हैं। शहर में कुछ कॉरपोरेट अस्पताल जो मरीजों को म्यूकोर्मिकोसिस का उपचार पैकेज दे रहे हैं वे 15 दिन के पैकेज के लिए 25 लाख रुपये ले रहे हैं। एक महीने के लिए 35 लाख रुपये से 45 लाख रुपये। ऐसे में असमर्थ कई मध्यमवर्गीय परिवारों ने वित्तीय मदद के लिए क्राउडफंडिंग वेबसाइटों की ओर रुख किया है।
ऐसे ही एक मामले में 72 वर्षीया ललिताबेन संगानी को मार्च में म्यूकोर्मिकोसिस का पता चला। 20 दिन के इलाज के बाद 10 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। इस इलाज में उसकी नाक से फंगस को हटाने के लिए एक सर्जरी शामिल थी। परिवार ने इलाज पर लगभग 12 लाख रुपये खर्च किए थे, लेकिन अचानक कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हो गया। इस पर 50 वर्षीय शैलेश संगानी ने कहा "यह मेरे परिवार में म्यूकोर्मिकोसिस का यह दूसरा मामला है। मेरे पिता ने डेढ़ साल तक इस स्थिति का इलाज किया और 2005 में ठीक हो गए। उस समय, हमने बहुत बड़ा खर्च किया था और हमारे पास अपना घर बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।” 
वहीं दुसरे मामले में मरीज के रिश्तेदार ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया "मेरे चाचा को म्यूकोर्मिकोसिस हुआ। हम पहले ही सर्जरी और 7000 रुपये प्रति शीशी वाले इंजेक्शन पर 15 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। हमने 5 लाख रुपये में 70 इंजेक्शन खरीदे थे। मेरे चाचा की पीड़ा को देखकर पूरा परिवार परेशान है और वे भी पैसे के लिए बहुत परेशान हैं, ” 
इस बीमारी के इलाज में इतना खर्च क्यों होता हैं?
यह स्थिति साइनस, मस्तिष्क और फेफड़ों को प्रभावित करती है और मधुमेह या गंभीर रूप से प्रतिरक्षित व्यक्तियों में जानलेवा हो सकती है। "उपचार के लिए बहु-विशिष्ट दृष्टिकोण में ईएनटी सर्जन, दंत विशेषज्ञ, मौखिक मैक्सिलोफेशियल सर्जन, नेत्र रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और चिकित्सक और बाद में पुनर्वास के लिए एक प्रोस्थोडॉन्टिस्ट शामिल हैं। उपचार में कम से कम 14 दिनों के लिए एक दिन में छह इंजेक्शन शामिल हैं और मामले की गंभीरता के आधार पर एक महीने तक लंबा हो सकता है।
ऐसे में एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है जिसकी कीमत 5,000 रुपये से 7,000 रुपये प्रति शीशी है। ऐसे कम से कम 100 इंजेक्शन एक मरीज को दिए जाते हैं और अगर उसे सर्जरी की जरूरत पड़ती है तो बिल और बढ़ जाता है।
इस बारे में अहमदाबाद हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन (AHNA) के ट्रस्टी डॉ दिव्यांग ब्रह्मभट्ट ने कहा “संक्रमण का प्रसार व्यक्ति की प्रतिरक्षा पर निर्भर करता है। लेकिन आमतौर पर 2.5 लाख रुपये से 20 लाख रुपये खर्च करने पड़ते ही हैं। एक मरीज को एम्फोटेरिसिन बी या लिपोसोमल इंजेक्शन लगाने की जरूरत होती है जो क्रमशः 500 रुपये और 8,000 रुपये की कीमत पर आते हैं। एक मरीज को एक दिन में सात खुराक देनी होती है।