जानें कैसे कोरोना काल में कई परिवारों का घर का बजट गड़बड़ा गया है!

बढ़ती महंगाई और कम वेतन के दोहरे मार से बिगड़ा मध्यम वर्गीय परिवार के बजट का संतुलन

एक और देश की प्रजा नौकरी-धंधा छूट जाने, वेतन में कमी के कारण परेशान है। वहीं दूसरी ओर सब्जी, किराना, ट्रांसपोर्ट आदि की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन की विपरीत असर से लोग अभी तक उभरे नहीं है, तभी एक बार फिर से कोरोना ने लोगों की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ दिया है। 
फरवरी में छूटक महंगाई का दर बीते 3 महीने की सर्वोच्च पर था जो कि 5% रहा और थोक महंगाई का दर बीते 27 महीना की सर्वोच्च सत्ता पर 4.2 पर पहुंच गया। पेट्रोल और डीजल की कीमत हो रही वृद्धि के कारण भी सभी चीजों की कीमतें बढ़ रही हैं। लोगों को अपने जरूरी खर्चों में भी कटौती करने की नौबत आ गई है। बेंगलुरु की आईटी कंपनी में काम करने वाले एक इंजीनियर बताया कि जीवन जरूरत की चींजो की कीमतें बढ़ने के कारण हमारा प्रतिमाह का बजट बिगड़ गया है । मैंने पूरे महीने काम किया लेकिन इसके बावजूद एक रुपए नहीं बचे। सब चीजें महंगी हो जाने के कारण हमारा खर्च बढ़ गया है।
इसी तरह से  मुंबई के एक बैंक कर्मचारी राजू ने बताया कि किराना, फल और सब्जी की कीमत बढ़ने के कारण जीवन जरूरी चीजों के पीछे हो रहा हमारा खर्च बढ़ गया है। रिजर्व बैंक का सर्वे कहता है कि आगामी  1 साल तक कीमतें बढ़ेगी। इसी तरह से 1 साल सर्विस में भी क़ीमत बढेगी। लॉकडाउन के कारण लोग घर में रहते हैं। इसलिए खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल बढ़ा है। जिसके चलते क़ीमत बढ़ रही है। 
मुंबई और चेन्नई के परिवारों का वर्ष 2020 और 2021 के खर्चों के बीच की तुलना की गई है। इसमें की मुंबई का परिवार 1 फरवरी 2020 ग्रॉसरी में 5000, शाक- सब्जी में 1500, कपड़े जूते में 2000, पढ़ाई लिखाई में 12000, यातायात में 8000, रिक्रिएशन में 10000 और मकान-भाड़ा के तौर पर ₹40000 चुकाया था था। जबकि  फरवरी 2021 में ग्रोसरी में 8000, सब्जी में 3000, कपड़े जुते में 1500, पढ़ाई लिखाई में 10000, ट्रांसपोर्ट में 6000, रीक्रिएशन में 3000, घर भाड़ा में 32,000 चुकाए। 
चेन्नाई के परिवार का खर्च 
वहीं चेन्नई के एक परिवार ने 2020 में ग्रॉसरी में 10000, सब्जीमें 20000, जूते में 5000, ट्रांसपोर्ट में ₹10000, रिक्रिएशन  10,000 और मकान किराए के तौर पर ₹64000 चुकाए। जबकि 1 फरवरी 2021 में ग्रॉसरी में 8000,सब्जी में 12000 कपड़े जूते में 5000,पढ़ाई लिखाई में 5000, ट्रांसपोर्ट में 20000 रीक्रिएशन में 20000 मकान किराए में ₹64000 चुकाए। हालांकि यह आंकड़े औसतन है, पर इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की किस तरह कोरोना के कारण मध्यम वर्ग के परिवार को कम वेतन में भी अधिक से अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।