गुजरात के इस श्मशान में महिलाएं भी करती है अंतिम संस्कार

गुजरात के इस श्मशान में महिलाएं भी करती है अंतिम संस्कार

भुज के सुखपर गाँव में पिछले कई दिनों से सेवा दे रही है राष्ट्र सेवा समिति की 15 महिलाएं, सफाई से लेकर अंतिम संस्कार तक के सभी काम करती है

कोरोना के कठिन समय में श्मशानों के बाहर लोगों की कतारें लग रही है। कई लोगों द्वारा कोरोना के डर के कारण अपने ही परिजनों का अंतिम संस्कार नहीं किए होने की घटनाएं सामने आई थी। ऐसे में श्मशान में काम कर रहे कर्मचारी ही उनका भी अंतिम संस्कार कर रहे है। ऐसे में गुजरात के सुखपुर में आए एक श्मशान की बात हम करने जा रहे है, जहां पिछले कई दिनों से राष्ट्र सेवा समिति की 15 महिलाएं अंतिम संस्कार की सेवा प्रदान कर रही है। जो की श्मशान भूमि की सफाई से लेकर अंतिमदाह करने तक के सभी काम काफी उत्साह पूर्वक करती हैं। 

मीडिया से बात करते हुये इस काम में जूते वेलानी परिवार के रामजीभाई वेलानी कहते है की प्रवर्तमान कोरोना परिस्थिति को ध्यान में रखते हुये गाँव की इस श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार करने के प्रशासनीय तंत्र के अनुरोध के कारण वह पिछले कई दिनों से हिन्दू विधि के अनुसार कोरोना के मरीजों का अंतिम संस्कार कर रहे है। यहाँ सुबह 8 से रात के 8 बजे तक अंतिम क्रिया का कार्य किया जा रहा है, जिसमें महिलाएं भी शामिल है। इस श्मशान में भुज की जीके जनरल हॉस्पिटल और निजी अस्पताल से आने वाले सभी कोरोना के मरीज का मृतदेह आता है। 
इस पूरे कार्य में रामपरवेकरा, भुज, मानकूवा और सुखपर के तकरीबन 50 लोग भी उनकी सहायता कर रहे है। इसके अलावा सुपर स्थित राष्ट्र सेवा समिति की कई महिलाएं भी सहयोग दे रही है। मृतदेहों के लिए फूल और पूजन विधि की सामाग्री तथा भोजन की व्यवस्था कर यह महिलाएं अपना कर्तव्य निभा रही है।