गुजरातः कोरोना काल में दुर्गम क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज की सेवा सराहनीय

गुजरातः कोरोना काल में दुर्गम क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज की सेवा सराहनीय

जाइड्स मेडिकल कॉलेज में पिछले 13 महीनों में 4642 कोरोना मरीजों का इलाज किया गया है और वे ठीक हुए

मई 2021 के महीने में प्रतिदिन 175 मरीजों का इलाज किया गया, दैनिक औसतन 21 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया
दाहोद जैसे दूरदराज के लोगों की बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी द्वारा आवंटित मेडिकल कॉलेज की सेवा कोरोना काल में महत्वपूर्ण साबित हुई है। पिछले 13महीनों में 4642 कोरोना रोगियों का इलाज यहां के जाइड्स मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल में किया गया है और इस घातक वायरस पर काबू पा लिया है। खास बात यह है कि जायड्स का कोरोना वार्ड पिछले दस दिनों से पूरी तरह खाली है। सर्दी खांसी के साथ बुखार के सिर्फ दो मरीज ही भर्ती हैं।
दाहोद में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में संक्रमण तेज होने के कारण नागरिकों को स्वास्थ्य देखभाल की सख्त जरूरत थी। उस समय दाहोद में ज़ायड्स मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल की सेवा सही समय पर काम आई।
दाहोद की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए आगे के स्वास्थ्य उपचार के लिए वडोदरा या अहमदाबाद जाना पड़ता है। लेकिन दाहोद में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के साथ ही दाहोद में अब विशेष उपचार उपलब्ध है। यह मेडिकल कॉलेज खासकर दूरदराज के गांवों में रहने वाले आदिवासी परिवारों के लिए वरदान साबित हुआ है।
कोरोना के नोडल चिकित्सक डॉ. कमलेश निनामा ने कहा कि कोरोना काल में मरीजों के इलाज में मेडिकल कॉलेज की भूमिका अहम होती जा रही है। अकेले पिछले 13 महीनों में जाइड्स मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल में कुल 4642 कोरोना मरीज ठीक हुए हैं और केवल 75 मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया गया था। रेफर करने का अनुपात  मात्र  एक फीसदी रही। 
पिछले वर्ष जून 2020 में मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन मात्र 11 रोगियों का उपचार किया गया, जबकि चालू वर्ष के मई-2021 माह में प्रतिदिन 175 रोगियों का उपचार किया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेडिकल कॉलेज के 200 बेड में मरीजों का कितना बोझ रहा है। इसलिए मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी ने कॉलेज में ऑक्सीजन बेड बढ़ाने के निर्देश दिए थे।
इसी महीने औसतन 21 मरीजों को रोजाना वेंटिलेटर पर रखा गया था। जून 2021 को छोड़कर, पिछले 13 महीनों में वेंटिलेटर पर रहने वालों की औसत संख्या सात से कम रही है। एक और उल्लेखनीय बात यह है कि दाहोद सिविल अस्पताल में भर्ती मरीजों में से लगभग 95% मरीज मात्र ऑक्सीजन से ही ठीक हो गए।
इसके अलावा, माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज में आरटीपीसीआर परीक्षण उम्दा तरीके से किया जा रहा है। 
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