गुजरातः ग्रामीण जनशक्ति के सहयोग से अगले एक पखवाड़े तक युद्धस्तर पर चलाएं ‘मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांव’ अभियानः मुख्यमंत्री

गुजरातः ग्रामीण जनशक्ति के सहयोग से अगले एक पखवाड़े तक युद्धस्तर पर चलाएं ‘मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांव’ अभियानः मुख्यमंत्री

गुजरात के 17 हजार गांवों में कोरोना मुक्ति की संकल्पबद्धता के साथ जनभागीदारी प्रेरित अभियान का राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने किया ई-प्रारंभ

हर व्यक्ति कोरोना से बचने का संकल्प करे, तो पूरा गांव और राज्य कोरोना से अवश्य बच जाएगाः राज्यपाल
मुख्यमंत्री  विजय रूपाणी ने गुजरात स्थापना दिवस, 1 मई से ‘मारुं गाम, कोरोना मुक्त गाम’ यानी ‘मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांव’ अभियान की राज्य के 17  हजार गांवों में ई-शुरुआत कराते हुए यह संकल्प व्यक्त किया कि ग्रामीण जनशक्ति के सहयोग और जनजागरूकता से अगले 15 दिन इस अभियान को युद्धस्तर पर चलाकर गुजरात के प्रत्येक गांव को कोरोना मुक्त गांव बनाना है। 
राज्यपाल  आचार्य देवव्रतजी की प्रेरक उपस्थिति में शनिवार को मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सीएम डैशबोर्ड के जरिए राज्य के गांवों के सरपंचों, जिला व तहसील पंचायत अध्यक्षों, पदाधिकारियों, अग्रणियों, जिले के प्रभारी मंत्रियों और अधिकारियों के साथ ‘मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांव’ अभियान के प्रारंभ अवसर पर ई-संवाद करते हुए मार्गदर्शन दिया। 
मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रत्येक गांव में स्कूल परिसर, विभिन्न समाजों के भवन, खाली पड़े बड़े मकानों, मंडलियों और पंचायत घर जैसे स्थानों पर आवश्यकता पड़ने पर आइसोलेशन सेंटर, कोविड केयर सेंटर शुरू करने और उसमें सर्दी, खांसी और सामान्य बुखार जैसे लक्षण वाले ग्रामीणों को आइसोलेट यानी अलग रखने की अपील की। 
उन्होंने आह्वान किया कि ऐसे आइसोलेशन सेंटर या कोविड केयर सेंटर में रहने वाले लोगों के रहने-खाने तथा स्टैंडर्ड दवाइयों जैसे कि विटामिन-सी, एजिथ्रोमाइसिन, पैरासिटामॉल आदि की व्यवस्था की जिम्मेदारी गांव के अग्रणी एवं युवा उठा लें। 
इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि ‘मेरे गांव में कोरोना को प्रवेश करने ही नहीं देना है’ उस संकल्प के साथ 10 व्यक्तियों की एक समिति बनाकर तहसील व जिला विकास अधिकारी, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सहयोग से ग्रामजनों की टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट की व्यवस्था कर गांवों में कोरोना संक्रमण को प्रवेश करने से रोका जा सकता है। 
श्री रूपाणी ने सभी ग्रामीणों से यह ताकीद की है कि वे गांव की इस तरह से नाकाबंदी करें कि 15 दिनों के लिए गांव से कोई बाहर न जाए और बाहर से कोई व्यक्ति गांव में न आए। यही नहीं, सरकार की पाबंदियों और नियमों का सख्ती से पालन हो और गांव सैनिटाइज भी हो तो कोरोना का यह संक्रमण गांव में फैलने से अवश्यक ही रुकेगा। 
मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि प्रत्येक ग्रामीण अपने घर-परिवार के साथ ही गांव की भी सामूहिक चिंता करेगा और कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सामाजिक दूरी के नियम, मास्क, लगातार हाथ धोने और भीड़भाड़ से बचने जैसे नियमों को अपनाएगा तो कोरोना के खिलाफ इस दूसरी लहर में भी हम जंग जीत सकेंगे। उन्होंने अनुरोध किया कि गुजरात को कोरोना मुक्त बनाने की दिशा में हर कोई राज्य के स्थापना दिवस से संकल्प लेकर जागरूकता और सतर्कता बरते। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा कोरोना संक्रमितों की उपचार व्यवस्था के लिए अपनाई गई रणनीति, बेड, ऑक्सीजन व्यवस्था आदि की भी जानकारी दी। 
श्री रूपाणी ने कहा कि राज्य के हॉस्पिटलों में मार्च महीने में 41,780 बेड थे, जो आज बढ़कर 1 लाख से अधिक हो चुके हैं। ऑक्सीजन और आईसीयू बेड भी साढ़े तीन गुना बढ़कर 16,043 से 57,073 हो चुके हैं। 
राज्यपाल  आचार्य देवव्रत ने कहा कि मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की अगुवाई में गुजरात सरकार इस महामारी के खिलाफ मजबूती से लड़ रही है। राज्य में जिला मजिस्ट्रेट से लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ता तक सभी लोग कोरोना के खिलाफ इस जंग में सिपाही बनकर काम कर रहे हैं।  
राज्यपाल ने गुजरात स्थापना दिवस पर सरपंचों के साथ सीएम डैशबोर्ड के माध्यम से संवाद करते हुए कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं, ऐसे में ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’, ठीक वैसा ही माहौल कोरोना को लेकर है। भीड़ एकत्रित करने और मास्क नहीं पहनने जैसी लापरवाही के चलते संक्रमण और भी तेजी से फैलता है। इसलिए गुजरात का प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को कोरोना से बचाने की प्रतिज्ञा करे, तो पूरा गांव और समूचा राज्य कोरोना से अवश्य ही बच जाएगा। 
राज्यपाल ने आगे कहा कि कोरोना की दवाई यानी वैक्सीन आ गई है, लेकिन आवश्यक कड़ाई-नियमों की पालना हम नहीं कर रहे हैं। इसके लिए गांव के सरपंच, पंचायत के पदाधिकारी आगे आकर एक समिति का गठन कर नियमित तौर पर बैठक बुलाएं और ‘मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांव’ अभियान को सफल बनाएं। 
उन्होंने कहा कि एनसीसी, रेडक्रॉस, एनएसएस और नेहरू युवा केंद्र जैसे संगठनों की मदद लेकर जिला मजिस्ट्रेट ग्रामीण स्तर पर मानवबल तैयार कर सकते हैं। इसके साथ ही धर्म गुरुओं और धार्मिक संस्थानों का भी कोरोना मुक्त गांव-कोरोना मुक्त नगर व शहर के लिए सहयोग मिल सकता है। 
राज्यपाल ने कहा कि लोग अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएं और नियमित योग एवं प्राणायाम करें तथा घर का बना हुआ सुपाच्य भोजन ग्रहण करें। आयुर्वेदिक औषधियों तथा प्राकृतिक खेती के उत्पादों की ओर मुड़कर जैविक कृषि उत्पादों का उपयोग भी हमें स्वस्थ जीवन की दिशा में ले जाएगा और कोरोना से बचाएगा। 
पंचायत राज्य मंत्री  जयद्रथसिंह परमार ने स्वागत भाषण में इस अभियान को सफल बनाने में सरपंच से लेकर ग्रामीण पदाधिकारियों समेत सभी के सहयोग का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री के सचिव अश्विनी कुमार ने अपने प्रेजेंटेशन में राज्य सरकार के कोरोना संक्रमण की रोकथाम और उपचार के दैनिक कार्यों सहित अब तक के सफल कामकाज का ब्यौरा पेश किया। 
स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव डॉ. जयंती रवि, ग्राम विकास आयुक्त विजय नेहरा तथा जिला स्तर से प्रभारी मंत्री, जिला कलक्टर, विकास अधिकारी इस अभियान की शुरुआत के अवसर  पर जुड़े थे।
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