क्रिकेट : भारत में चल रहे वीआईपी कल्चर को लेकर पूर्व भारतीय ओपनर ने जताई आपत्ति, कहा खिलाड़ियों को न बनाओ भगवान

क्रिकेट : भारत में चल रहे वीआईपी कल्चर को लेकर पूर्व भारतीय ओपनर ने जताई आपत्ति, कहा खिलाड़ियों को न बनाओ भगवान

एक इंटरव्यू के दौरान गंभीर ने धोनी, कोहली से लेकर कपिल सबको बनाया उदाहरण, कहा ऐसा करना अन्य खिलाड़ियों के साथ नाइंसाफी

भारत में क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं हैं, ये खेल से बढ़कर बहुत कुछ है! भारत में क्रिकेटर्स को किसी सेलिब्रिटी की तरह मानते है। इस वीआईपी कल्चर को लेकर पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने पर सवाल उठाया है। पूर्व भारतीय ओपनर गौतम गंभीर ने हीरो कल्चर पर सवाल खड़े करते तीखे शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि फैन्स को किसी विशेष खिलाड़ी को नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट को पूजना चाहिए, वरना यह क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं होगा। 

टीम सबसे बड़ी ताकत, खिलाड़ी को न बनाओ महाशक्ति: गंभीर


एक साक्षात्कार के दौरान गंभीर ने कहा कि हमें किसी एक विशेष खिलाड़ी की पूजा करने और उसकी आरती उतारने के बदले टीम के बारे में सोचना चाहिए। गंभीर ने कपिल देव, विराट कोहली या फिर एमएस धोनी का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें सिर्फ चुनिंदा खिलाड़ियों की बात छोड़कर सिर्फ टीम पर बात करनी चाहिए। हमें किसी एक खिलाड़ी को बड़ा बनाने की जगह पूरी टीम को बड़ा बनाने पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि यह टीम के साथियों की उपलब्धियों की देखरेख करता है। भारतीय क्रिकेट महाशक्ति है और इसके अलावा किसी खिलाड़ी को महाशक्ति बनाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।

एशिया कप के आखरी मैच को लिया दृष्टांत


गंभीर ने एक कार्यक्रम में कहा है कि प्रशंसक ही नहीं मीडिया और प्रसारण भी भारतीय क्रिकेट की हीरो संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। मेरा मानना ​​है कि इस संस्कृति की शुरुआत 1983 से हुई थी। उस समय भारत ने वर्ल्ड कप जीता था और इसका सारा श्रेय कप्तान कपिल देव को जाता है। इसके बाद भारतीय क्रिकेट प्रशंसक और मीडिया सचिन, धोनी और कोहली की पूजा करने लगे, जिससे टीम की सफलता में अन्य खिलाड़ियों के महत्वपूर्ण योगदान को भुला दिया गया या उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया। एशिया कप के आखरी और औपचारिक अफगानिस्तान के मैच का हवाला देते हुए कहा कि कोहली ने बेशक अच्छी पारी खेली और शतक लगाया, लेकिन तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने 5 विकेट लिए लेकिन तब किसी ने भुवनेश्वर का जिक्र करने की जहमत नहीं उठाई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने अपनी टिप्पणी में इसका उल्लेख किया है। जबकि बाकी सभी लोग कोहली के शतक का जश्न मनाने में लगे हुए थे। हमें स्टार खिलाड़ियों की पूजा करना बंद कर देना चाहिए।