रुकने का नाम नहीं ले रहा कोरोना, 132 देशों में फैला सबसे खतरनाक डेल्टा वेरिएंट

डब्ल्यूएचओ ने दी चेतावनी, गंभीर हो सकते है हालात

बीते दो साल से पूरी दुनिया कोरोना के आतंक से पीड़ित है। कोरोना के नए नए संस्करण सामने आ रहे है और इस बीच एक चिंताजनक खबर सामने आई है कि कोरोना का सबसे खतरनाक डेल्टा वेरिएंट दुनिया भर के 132 देशों में फैल चुका है। जिस तरह से डेल्टा वेरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं, उस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि दुनिया भर में कोरोना के इस स्वरूप के कारण संक्रमण और मौतें बढ़ रही हैं।
कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने एक बार फिर दुनिया भर में चिंता बढ़ा दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक बार फिर दुनिया भर में डेल्टा वेरिएंट के मामलों और मौतों की बढ़ती संख्या को लेकर चेतावनी दी है। ऐसा कोरोना संक्रमण के मामलों की कुल संख्या जल्द ही 20 करोड़ को पार कर जाएगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस घेब्रेसस ने कहा कि दुनिया में कोरोना के मामलों की सही संख्या अब तक दर्ज मामलों की संख्या से बहुत अधिक हो सकती है। उन्होंने यह भी परोक्ष रूप से कहा कि कई देश कोरोना के संक्रमण पर सटीक आंकड़े प्रकाशित नहीं करते हैं। उनके मुताबिक कुल 6 में से 5 इलाके ऐसे हैं जहां कोरोना संक्रमण के मामलों में औसतन 80 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह आंकड़ा महज 4 हफ्ते में दोगुना हो गया है। इस बीच, अफ्रीका में कोरोना से होने वाली मौतों में अनुमानित 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना के संक्रमण में हुई वृद्धि के लिए डेल्टा संस्करण को दोषी ठहराता है। संस्थान के विशेषज्ञ डेल्टा संस्करण के तेजी से प्रसार के पीछे के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि यह वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है। जब तक वायरस के प्रसार को रोका नहीं जा सकता, तब तक इसके वेरिएंट सामने आते रहेंगे।
डॉ ट्रेडोस ने कहा कि कोरोना के मामले बढ़ने का एक मुख्य कारण टेस्टिंग का कम होना भी है। अमीर देशों की तुलना में कम या कम आय वाले देशों में से केवल 2% का ही परीक्षण किया जा रहा है, जिससे कोरोना के बारे में जागरूकता फैलाना और इसके रूपों में हो रहे परिवर्तनों को समझना मुश्किल हो गया है। दुनिया में 29 देश ऐसे हैं जहां कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी से ऑक्सीजन की कमी हुई है, वहीं कई देशों में फ्रंटलाइन वर्कर्स के पास जरूरी उपकरण भी नहीं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसे देशों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने का वादा किया है।