आपके द्वारा किये गये इन्वेस्टमेंट की जानकारी अपने परिजनों के साथ अवश्य साझा करें!

आपके द्वारा किये गये इन्वेस्टमेंट की जानकारी अपने परिजनों के साथ अवश्य साझा करें!

व्यक्ति अपने कारोबार या नौकरी की कमाई को बचत के किसी अच्छे विकल्प में संजो कर रखना चाहिये जिससे मुद्रास्फिति के घटते-बढ़ते स्तर के बीच पूंजी भी समय के साथ बढ़ती रह सके। बचत के साधनों में बैंकों में डिपोजीट के अलावा प्रोफिडेंट फंड, म्युच्युअल फंड, एलआईसी पोलिसी, स्टॉक मार्केट आदि प्रमुख हैं। वैसे आप कहीं भी निवेश करें, इजना ध्यान अवश्य रखें कि अपने इन्वेस्टमेंट की जानकारी अपने परिजनों को अवश्य दें और हर निवेश में अपने नॉमिनी का नाम जरूर दर्ज करा कर रखें जिससे भगवान न करे और आपको असमय कुछ हो जाए तो आपकी गाढ़ी कमाई आपके बचत खातों में पड़ी-पड़ी सड़ न जाए क्योंकि सिर्फ इसलिये कि उसके बारे मे आपने वारिसों को सूचना ही न हो।
यहां इस मुद्दे को छेड़ने का मुख्य कारण यह है कि इकोनोमिक टाइम्स के नीचे दिये आंकडों से इस विषय की गंभीरता झलकती है। आंकडों की मानें तो भारत में ‌बचत के विभिन्न स्त्रोतों में लगभग 82,025 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं, जिस पर दावा करने वाला कोई नहीं है। यानि ये उन लोगों के द्वारा जमा कराई गई राशि है, जिसके बारे में शायद जमाकर्ता के वारिसों या परिजनों को कोई जानकारी नहीं है। 
आंकड़ों के अनुसार बिना दावे वाली सर्वाधिक राशि लगभग 26,497 करोड़ रुपये प्रोविडेंट फंड में जमा है। वहीं विभिन्न बैंक खातों में 18,381 करोड़ रुपये, म्युच्युअल फंडों में ऐसे खाते जो सक्रिय नहीं है, में 17,880 करोड़ रूपये, एलआईसी पोलिसियों के 15,167 करोड़ रुपये, पक चुकी फिक्स्ड डिपोजीटों में 4,820 करोड़ रूपये, बिना दावे के डिवीडंड में 4,100 करोड़ रूपये पड़े हुए हैं। ये वित्तीय आंकड़े दर्शाते हैं कि लोग कितने बेपरवाह होते हैं या फिर ऐसो सोचते हैं कि अभी उनके पास जीने का खूब वक्त है और अपने निवेश की जानकारी अपने मिलने वालों से बाद में साझा कर देंगे, ऐसा सोचकर बैठे रहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से उनकी सांसें थम जाती हैं या फिर अन्य किसी‌ कारणों से उनकी बचत पर दावा करने वाला कोई नहीं रहता और वो वित्तीय संस्थानों में यूं ही पड़ी रह जाती हैं।
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