ओटोमेशन : आने वाला समय सामान्य सॉफ्टवेयर इंजिनियरों का नहीं बल्कि एक्स्पर्ट्स का रहेगा

ओटोमेशन : आने वाला समय सामान्य सॉफ्टवेयर इंजिनियरों का नहीं बल्कि एक्स्पर्ट्स का रहेगा

साल 2022 तक 30 लाख लोगों की नौकरी पर आ सकता है संकट, कई बड़ी कंपनियों ने शुरू कर दिया है आयोजन - रिपोर्ट

भारत में समय के साथ-साथ ओटोमेशन भी बढ़ रहा है। ओटोमेशन के कारण हर क्षेत्र में अच्छा रिजल्ट मिल रहा है। हालांकि अधिक ओटोमेशन के कारण कई बड़े नुकसान भी सामने आने वाले है। इंडस्ट्रीज में बढ़ रहे ओटोमेशन के कारण टेक्नोलोजी के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों की नौकरी के सामने खतरा मंडरा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू सॉफ्टवेयर कंपनियाँ जहां अभी 1.6 करोड़ कर्मचारी काम कर रहे है, साल 2022 तक लगभग 30 लाख कर्मचारियों को अपनी सेवा से मुक्त कर देंगे। जिसके कारण हर साल कंपनियों को 100 बिलियन डॉलर की बचत होगी। 
रिपोर्ट के अनुसार, स्थानिक आईटी क्षेत्र में काम करने वाले 1.6 करोड़ में से 90 लाख लोग कम कुशलता वाले काम या बीपीओ में काम करते है। जिसमें से साल 2022 तक लगभग 30 लाख लोग आने अपनी नौकरी गंवा देंगे। जिसका मुख्य कारण रोबोटिक प्रोसेस ओटोमेशन होगा। रिपोर्ट्स में बताया गया की टीसीएस, विप्रो, एचसीएल, टेक महिंद्रा और कोग्जिनंट जैसी कई कंपनियाँ इसके लिए उचित योजना बना रही है। रिपोर्ट में यह भी कहाँ गया है की इस तरह से कंपनियों द्वारा पगार तथा अन्य खर्च मिलाकर कुल 100 बिलियन डॉलर की बचत की जा सकेगी। 
इसकी सबसे खराब असर अमेरिका में दिखाई देंगी, जहां लगभग 10 मिलियन लोग अपनी नौकरी गंवा सकते है। इसके अलावा भारत और चीन पर भी इसकी गहर असर पड़ेगी। हालांकि आसियान, पर्सियन गल्फ और जापान में इसका प्रमाण काफी कम दिखाई डेंगा। 
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