इलाहबाद हाईकोर्ट ने अरोपी की सजा घटाई, कहा - नाबालिग के साथ ओरल सेक्स गंभीर अपराध नहीं

हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बदला, 10 साल की सजा को किया कम

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बच्चे के साथ हुए यौन उत्पीड़न के एक मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। नाबालिग के साथ ओरल सेक्स करना गंभीर अपराध नहीं है। कोर्ट ने बच्चों के साथ ओरल सेक्स को 'गंभीर यौन हमला' नहीं माना है और ऐसे ही एक मामले में दोषी करार दिए गए शख्स सोनू कुशवाहा को निचली अदालत से मिली सजा 10 साल से घटाकर सात साल कर दिया और आरोपी पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
आपको बता दें कि निचली अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद आरोपी ने उच्च न्यायालय में अपील की थी और अदालत के समक्ष सवाल यह था कि क्या नाबालिग के साथ मुख मैथुन करना यौन उत्पीड़न कहा जा सकता है। हाईकोर्ट ने इस प्रकार के अपराध को पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय माना है, लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह कृत्य एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट या गंभीर यौन हमला नहीं है।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने तब पॉक्सो अधिनियम के कानून का अध्ययन किया और उपरोक्त निर्णय दिया। आरोपी पर 10 साल के लड़के सोनू कुशवाहा के साथ मुख मैथुन करने का आरोप था, जिसे सेशन कोर्ट ने उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक यौनाचार) और धारा 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा दी थी।