डॉ. पवित्रा वेंकटगोपालन के मतानुसार बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने इतना जरूर करें

डॉ. पवित्रा वेंकटगोपालन के मतानुसार बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने इतना जरूर करें

जानिए कोरोना की अगली लहर को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने पूरे देश में कोहराम मचा रखा है। कोरोना का खतरा फिलहाल तो खत्मऔ होता नहीं दिख रहा है। कोरोना के रोजाना बढ़ते मरीजों के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन से लेकर दवाईंयों तक की भारी कमी हो गई है। अस्पतालों में नए मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है। हर रोज कोरोना से जुड़े नए नए खुलासे हो रहे हैं। हाल ही में इस वायरस का एक नया वैरिएंट सामने आया हैं। अब  अब इसकी तीसरी लहर की बात होने लगी है। विशेषज्ञों का कहना हैं कि जल्द ही देश को कोरोना की तीसरी लहर का सामना करना पड़ेगा जो दूसरी लहर से कई गुना खतरनाक साबित होगी। इससे भी डरावनी बात ये हैं कि तमाम जानकारों ने आगाह किया है कि कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों  को ज्याहदा खतरा हो सकता है। कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में बच्चों में संक्रमण की संख्या में वृद्धि हुई है। इस संबंध में, एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी और कोरोना वायरस में पीएचडी करने वाली डॉ. पवित्रा वेंकटगोपाल ने एक अखबार से बात की कि बच्चों में संक्रमण को कैसे रोका जाए।
आपको बता दें कि भारत में टीकाकरण के तीसरे चरण में फ़िलहाल 18 वर्ष से अधिक आयु के लोग ही शामिल हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण बच्चों में बढ़ रहा है।क नपगल बच्चों पर टीके के प्रभाव की अभी तक जांच नहीं की गई है ऐसे में फिलहाल बच्चों का टीकाकरण करना संभव नहीं है। ऐसे में एक और अच्छा विकल्प है बच्चों को संक्रमण से दूर रखना। ऐसा करने के दो तरीके हैं। पहला तो बच्चों के साथ रहने वाले सभी वयस्कों का टीकाकरण करना है और दूसरा बच्चों को कोविद -19 का प्रोटोकॉल सिखाना है।
एक तरफ संयुक्त राज्य अमेरिका में 16 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन दिया जाने लगा हैं ऐसे में भारत में बच्चों को कब टीका लगाया जाएगा? इस तरह के सवाल के जवाब में डॉ. पवित्रा वेंकटगोपाल ने कहा कि यह फिलहाल संभव नहीं है क्योंकि भारत में इस्तेमाल किए जा रहे टीके का बच्चों पर परीक्षण नहीं किया गया है। दुनिया भर में कई नैदानिक परीक्षण हैं जो कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता का परीक्षण करते हैं। जब तक कि वैक्सीन बच्चों में पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी साबित न हो जाए तब हमें इंतजार करना होगा ।
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo : IANS)
क्या छोटे बच्चों के लिए कोई अलग सुरक्षा प्रोटोकॉल है? इस प्रश्न के उत्तर में डॉ. पवित्रा वेंकटगोपाल ने कहा "बच्चों के लिए कोई अलग सुरक्षा प्रोटोकॉल नहीं है। कोरोना वायरस वर्तमान में सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सलाह है कि माता-पिता बच्चों की सुरक्षा के लिए कोरोना दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें। बच्चों को इन उपायों को अपनी दिनचर्या और आदत का हिस्सा बनाना भी महत्वपूर्ण है। माता-पिता को अपने बच्चों के सवालों का जवाब देकर उनके डर को कम करना चाहिए। माता-पिता को यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि परिवार के सभी वयस्क जिनके साथ उनके बच्चे खेल रहे हैं, उन्हें टीका लगा गया है और वो कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर रहे है। और सबसे महत्वपूर्ण बात सभी बच्चों और वयस्कों को सामाजिक दूरी का पालन करना चाहिए।
क्या 18 साल से कम उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है इससे वे संक्रमण से बच सकते हैं? इस प्रश्न के उत्तर में डॉ पवित्रा का कहना है कि यह एक हद तक सही है, लेकिन सामान्य रूप से सभी उम्र के लोग जो ठीक से खाते हैं और सक्रिय-उत्कृष्ट जीवनशैली का पालन करते हैं, उनमें प्रतिरक्षा मजबूत होती है। कोविड -19 सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन जो लोग अच्छे स्वास्थ्य में हैं, वे कोरोना से अधिक परेशान नहीं हैं। क्या कोरोना की अगली लहर युवा लोगों में अधिक संक्रमण फैलाएगी? इस प्रश्न के उत्तर में डॉ पवित्रा कहती हैं ”ऐसा कोई जानकारी नहीं है कि कोरोना वायरस का एक नया रूप सिर्फ युवा लोगों को संक्रमित कर रहा है। अभी यह वायरस सभी को संक्रमित कर रहा है।
गौरतलब हैं कि पिछले एक साल में लोगों को आर्थिक और भावनात्मक रूप से बहुत नुकसान हुआ है। जब जनवरी में कोरोना वैक्सीन आई थी, तो लोगों ने सोचा कि टीकाकरण कोरोना को रोकने के लिए पर्याप्त था। इसलिए लोगों ने लापरवाही दिखाते हुए कोरोना महामारी के जाने  से पहले ही सारे नियमों को टाक पर रखते हुए अपने जीवन को अपने अंदाज में जीना शुरू कर दिया। लोगों ने सामाजिक दूरी बनाए रखने और मास्क पहनने के नियमों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। यही वजह है कि पिछले साल की तुलना में संक्रमण की संख्या बढ़ने लगी है।
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