सूरत : सी. आर. पाटिल लगातार चौथी बार नवसारी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे
भाजपा केन्द्रिय चुनाव समिति द्वारा प्रथम सूची जारी, पाटिल समर्थकों में उत्साह
सी.आर. पाटिल के समर्थकों ने कार्यालय के बाहर ढोल नगाडों बजाकर खुशी जताई
लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों की पहली सूची आ गई है जिसमें सी.आर. पाटिल को एक बार फिर नवसारी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। वह गैर-गुजराती बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार चौथी बार नवसारी सीट पर सीआर पाटिल पर भरोसा किया है। केन्द्रिय चुनाव समिति द्वारा पहली सूची में जैसे ही सी.आर.पाटिल के नाम घोषित हुआ तो सूरत,नवसारी ,दक्षिण गुजरात सहित समग्र प्रदेश में उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं में उत्साह और हर्ष छा गया।
सी.आर. पाटिल पिछले तीन बार से नवसारी सीट से सांसद हैं। 2014 और 2019 में सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल कर वह राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गए। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें गुजरात का प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बना दिया। 2019 में उन्होंने 689,668 वोटों के रिकॉर्ड अंतर से चुनाव जीता, जो चुनावी इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा अंतर है। 2014 में वह 5,58,116 मतो के अंतर से जीते जो समग्र देश में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले तीसरे नंबर पर थे। साल 2009 में वह 4.23413 वोट पाने वाले उम्मीदवार थे।
रघुनाथजी पाटिल और सरूबाई पाटिल के घर चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल (सी. आर. पाटिल) का जन्म 16 मार्च 1955 को महाराष्ट्र के जलगांव के पास पिंपरी-अकारौत, एदलाबाद में हुआ। सी.आर. पाटिल की शिक्षा दक्षिण गुजरात के विभिन्न स्थानों पर हुई। अंत में आईटीआई, सूरत से पढ़ाई की।
पिता और कई लोगों को देखकर पाटिल 1975 में गुजरात पुलिस में शामिल हो गए। अपने अंतर्निहित नेतृत्व और संगठनात्मक गुणों के कारण उन्हें सरकारी नौकरी में कई संघर्षों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सी.आर. पाटिल को विशेष रूप से पुलिस विभाग को संगठित करने के लिए बनाए गए संघ के लिए भी जाना जाता है।
पुलिस की नौकरी करने वाले लोगों की बातें कोई उजागर नहीं करता। उस मुद्दे को उठाते हुए सी.आर. पाटिल ने 1984 में पुलिस कर्मचारियों का एक संघ बनाने का प्रयास किया। शीर्ष पुलिस अधिकारियों और सरकार को यह पसंद नहीं आया और सी.आर. पाटिल के खिलाफ निलंबन लगा दिया गया। अपने साथी पुलिसकर्मियों के कल्याण और उनके साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए सी.आर. पाटिल ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और संघर्ष का रास्ता अपनाया। उनके भीतर नेतृत्व और संगठन के गुण पहली बार उजागर हुए।