हमीरपुर में चंदेल काल की बैठकों में छिपा है पुरा वैभव का इतिहास

पुरा वैभव की ऐतिहासिक भवन और महाभारत काल के अतीत भी हो रहे विलुप्त

हमीरपुर में चंदेल काल की बैठकों में छिपा है पुरा वैभव का इतिहास

हमीरपुर,01 फरवरी (हि.स.)। बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर जिले में चंदेल कालीन धरोहरें अब खंडहर होने के मुहाने पर आ गई है।सैकड़ों साल पुरानी पुरा वैभव की ऐतिहासिक भवन और महाभारत काल के अतीत भी विलुप्त हो रहे हैं। हैरत की बात है कि इन धरोहरों को संवारने के लिए अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाए गए हैं।

हमीरपुर शहर से 85 किमी दूर दक्षिण दिशा में स्थित राठ नगर किसी जमाने में विराट के नाम से जाना जाता था क्योंकि यहां महाभारत काल की धरोहरें आज भी देखने को मिलते हैं। युधिष्ठर,भीम,अर्जुन,नकुल और सहदेव ने द्रोपदी के साथ यहां अज्ञात वास में आये थे। इसी नगर में कीचक की हत्या की गयी थी। जिसकी समाधि आज भी दानू मामा के चबूतरे के नाम से जानी जाती है। ये राठ नगर के मुहाल बुधौलियाना में जीर्णशीर्ण हालत में स्थित है। पाण्डवों को मारने के लिये दुर्याेधन ने लाक्षागृह बनवाया था,जिसके चिन्ह भी अब विलुप्त होने के कगार पर है। आज यहां जो बस्ती बसी है वह भूगर्भ में धंसे हुये किले पर है। इसकी प्रमाणिकता कोट बाजार तथा किले के मुख्य द्वार पर लिखे 1861 पर मिलती है। राठ नगर से पूर्व की दिशा में एक ऐतिहासिक चौपरा तालाब स्थित है। इसके किनारे एक प्राचीन मंदिर है। मंदिर में भगवान शंकर की भव्य मूर्ति विराजमान है जो चौपेश्वर महाराज के नाम से विख्यात है।

इसके अलावा यहां पर हनुमानजी, रामलला एवं गणेश के प्राचीन मंदिर है। जिन्हें पूजन और अर्चन करने के लिये समय-समय पर भारी संख्या में लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि सिद्ध संत खाकी बाबा के आने से यह राठ नगर का पुण्य तीर्थ बन गया था। यहां पर महाशिवरात्रि के अवसर पर आकर्षक झांकी व विशाल सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते है। जिसे देखने के लिये दूरदराज से भारी संख्या में लोग आते हैं।

वर्तमान में राठ नगर का सबसे बड़ा पुण्य तीर्थ ब्रह्मानंद शिक्षा संस्थान है जिसकी स्थापना त्यागमूर्ति स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज द्वारा सन 1938 ईसवी में एक हाईस्कूल के रूप में की गई थी। स्वामी जी के अथक प्रयास से यह शिक्षा संस्थान आज ब्रह्मानंद इण्टर कालेज, ब्रह्मानंद संस्क्रत महाविद्यालय, ब्रह्मानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रूप में कुशल प्रशासकों द्वारा संचालित किया जा रहा है। महाविद्यालय परिसर में संस्थापक पूज्य स्वामी का समाधि स्थल विद्यमान है, जहां विभिन्न अवसरों पर हजारों लोग नतमस्तक होते हैं।

मारवाड़ी ने सैकड़ों साल पूर्व बनवाया था हनुमानजी का मंदिर

राठ नगर के शिक्षक हरीमोहन चंदसौरिया ने बताया कि नगर के बीचोबीच गंगाप्रसाद मारवाड़ी ने एक बड़ा मंदिर बनवाया था जिसमें हनुमानजी की विशाल मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर में हजारों श्रद्धालु हनुमानजी के दर्शन और पूजा करने आते हैं।

चंदेल काल की बैठकों में छिपा है पुरा वैभव का इतिहास

राठ नगर से दक्षिण की ओर पड़ाव पर मारकण्डेय मंदिर स्थित है। इसमें शंकर जी की एक प्राचीन विशालकाय प्रतिमा स्थापित है। यहां चंदेलों का भी सैकड़ों साल पहले राज रहा है। और कहा जाता है कि दुर्गावती यहीं के राजा शाली शाह की बेटी थी जिनका विवाह मध्यप्रदेश के जबलपुर के गौड़ राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपति शाह से हुआ था।

बगदाद से एक ईंट लाकर मुस्लिम धर्मगुरु ने की स्थापित

राठ नगर से उत्तर दिशा की ओर बड़े पीर साहब के नाम से विख्यात एक ऐतिहासिक सिद्ध स्थल है जहां पर प्रत्येक शुक्रवार को तथा साल में एक बार आयोजित उर्स में सभी समुदायों के लोग बड़ी संख्या में यहां आकर श्रद्धा भाव से माथा टेकते हैं। ऐसी मान्यता है कि कोई मुस्लिम संत बगदाद से एक ईंट लाकर यहां आये थे, जिसे यहां पर स्थापित किया था। इसी के पास पूरब की ओर रामबाग है जहां पर एक विशाल प्राचीन मंदिर स्थित है। इस मंदिर में भगवान राम,लक्ष्मण,सीता की कलात्मक और अद्भुत मूर्तियां स्थापित है। किसी जमाने में यहां एक फक्कड़ बाबा नाम के सिद्ध महात्मा रहते थे जिनकी समाधि आज भी इसी स्थान पर स्थित है। कस्बे के तमाम लोगों का कहना है कि यह स्थान बड़ा ही सिद्ध स्थल है।

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