मिशन मंगलम से ग्रामीण महिलाओं को मिला रोजगार, आया जीवन में बदलाव

सूरत जिले के 234 ग्रामीण संगठनों को 1555.40 लाख रुपये बतौर कम्यूनिटी इन्वेस्टमेंट फंड के रूप में दिया गया

मिशन मंगलम से ग्रामीण महिलाओं को मिला रोजगार, आया जीवन में बदलाव

जिले में कुल 5721 समूहों को रिवॉल्विंग फंड के तौर पर 646 लाख रुपये प्रदान किए

सूरत, 01 फरवरी (हि.स.)। महिला सशक्तिकरण योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मिशन मंगलम योजना लागू की गई है। जिसमें योजना के तहत महिलाओं के बैंक खाते खोलना, सखी मंडल बनाना, ऋण उपलब्ध कराना जैसे कार्य किये जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए 2010 में मिशन मंगलम योजना सहित कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं।

मिशन मंगलम योजना के तहत ग्रामीण गरीब परिवार की महिलाओं के समूह को संगठित कर उनसे बचत कराने समेत ऋण उपलब्ध कराने और उनकी आर्थिक जरूरतों को पूरा किया जाता है। इस तरह एक सखी मंडल (1 समूह में 10 महिलाएं) संगठित होकर स्वसहायता समूह बनाते हैं। प्रारंभिक तौर पर उन्हें एक रिवॉल्विंग फंड के तौर पर 30 हजार रुपये की सहायता दी जाती है। इस तरह ग्रामीण स्तर पर 10 सखी मंडल का एक संगठन होता है जिसे ग्राम संगठन कहा जाता है। इस 10 सखी मंडल में 100 महिलाएं होती हैं। इस ग्राम संगठन को आजीविका या अन्य किसी प्रकार के गृह उद्योग शुरू करने के लिए सरकार की ओर से कम्यूनिटी इन्वेस्टमेंट फंड के रूप में 15 लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है। महिलाओं के आजीविका और उत्थान के लिए शुरुआत में बैंक की ओर से 1.5 लाख रुपये 7 फीसदी ब्याज से दिया जाता है। इसकी किश्त समय पर चुकाने पर दूसरे वर्ष 2 लाख और इसी तरह आने वाले वर्षों के दौरान उन्हें 20 लाख रुपये के ऋण में स्टैंप ड्यूटी माफ करते हुए आजीविका प्राप्त करने में मदद किया जाता है।

सूरत जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (मिशन मंगलम) योजना के तहत, अब तक 10903 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। जिसमें 110999 महिलाएं आजीविका के लिए विभिन्न गतिविधियों में लगी हुई हैं। बैंकों ने 6200 समूहों को 62 करोड़ रुपये का ऋण दिया है। सूरत जिले में कुल 5721 समूहों को रिवॉल्विंग फंड के तौर पर 646 लाख रुपये दिए गए हैं। करीब 3775 स्वसहायता समूह विभिन्न आजीविका संबंधी गतिविधि कर रही हैं। सूरत जिले में अभी तक 392 ग्राम समूहों की रचना की गई है। इसमें 234 ग्रामीण संगठनों को 1555.40 लाख कम्यूनिटी इन्वेस्टमेंट फंड के तौर पर सहायता दी गई है।

सूरत जिले में वर्ष 2023-24 में 729 और अब तक 9028 सखी मंडल महिलाओं को आजीविका उन्मुख प्रशिक्षण दिया गया है और उन्हें कृषि सखी, पशु सखी, बैंक सखी, वन सखी, मत्स्य सखी बनाकर रोजगार सृजन किया गया है। आरएसईटीआई महिलाओं को प्रोत्साहित करता है। सखी मंडल की ओर से आजीविका के लिए बड़ौदा स्वरोजगार विकास संस्थान के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जो उन्हें रोजगार का अवसर प्रदान करता है। सखी मेला, सरस मेला, शक्ति मेला का आयोजन कर सखी मंडल की बहनों के बनाए गए वस्तुओं का प्रदर्शन एवं बिक्री के लिए सरकार सहायता करती है। इसके लिए उन्हें निःशुल्क स्टॉल उपलब्ध कराना उन्हें आर्थिक रूप से संतुलित बनाने में उपयोगी साबित हुआ है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से आत्मनिर्भर महिलाओं द्वारा आत्मनिर्भर गुजरात की संकल्पना को सखी मंडल की महिलाओं ने शून्य से सृजन कर साकार किया है।

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