कानूनी निर्देश के बावजूद कोलकाता पुस्तक मेले में दिव्यांग जनों के लिए आवश्यक इंतजाम नहीं
प्रियंका डे सेरेब्रल पाल्सी की वजह से 80 फीसदी शारीरिक विकलांगता से पीड़ित हैं
कोलकाता, 30 जनवरी (हि.स.) । पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में लगने वाले प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में कानूनी निर्देश के बावजूद दिव्यांगजनों की सुविधाओं के लिए व्हील चेयर के लाने ले जाने के अनुकुल व्यवस्थाएं नहीं रहीं। इसे लेकर व्हीलचेयर पर निर्भर लोग नाराज हैं। उन्होंने इस मामले पर मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।
दिव्यांगजन अधिकार के तहत किसी भी मेला-प्रदर्शनी, शैक्षणिक संस्थान, कार्यालय एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान या ''सार्वजनिक स्थान'' पर रैंप (इस पर आसानी से व्हीलचेयर को चलाया जा सकता है) का होना अनिवार्य है। हालांकि कोलकाता पुस्तक मेले में इसका ध्यान नहीं रखा गया।
प्रियंका डे सेरेब्रल पाल्सी की वजह से 80 फीसदी शारीरिक विकलांगता से पीड़ित हैं। उन्हें थोड़ा बहुत भी घूमने-फिरने के लिए व्हीलचेयर का इस्तेमाल करना पड़ता है। ग्रेजुएशन से लेकर रिसर्च तक की पढ़ाई जादवपुर यूनिवर्सिटी में उन्होंने की है और वर्तमान में प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। ऐसी ही एक और शिक्षिका हैं स्वरूपा दास। उन्हें किताबें पढ़ना बहुत पसंद है। दोनों ने कहा कि बार-बार निर्देश के बावजूद पुस्तक मेले में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है।
प्रियंका और स्वरूपा ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत.में कहा, "2022 में हमने देखा कि पुस्तक मेला बिल्कुल भी विकलांगों के अनुकूल नहीं है। तब निर्णय लिया गया कि हम अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले को विकलांग अनुकूल वातावरण बनाने की पहल करेंगे। उस समय लगभग किसी भी स्टॉल में रैंप नहीं था, भले ही वह अनुपयोगी हो।" वे आगे कहती हैं कि लगभग सात महीने के संघर्ष के बाद, पुस्तक मेला प्राधिकरण के अधिकारियों में से एक, त्रिदिव चटर्जी ने हमारे साथ बैठक की। उन्होंने लिखित में सब कुछ देने को कहा। इसके बाद उक्त आशय का ईमेल भी भेज दिया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
मंत्रालय के निर्देश की हो रही अनदेखी
उन्होंने कहा की पुस्तक मेले की ओर से अच्छा रिस्पांस नहीं मिलने की वजह से शारीरिक विकलांगता एवं अधिकारिता मंत्रालय को मामले की जानकारी देनी पड़ी। वहां से राज्य दिव्यांगता आयुक्त के माध्यम से पुस्तक मेला प्राधिकार को हमारी मांग के अनुरूप पुस्तक मेला को दिव्यांग-अनुकूल बनाने का निर्देश दिया गया लेकिन 2023 में हम फिर पुस्तक मेले में गए और निराश हुए, क्योंकि हमारी मांग के अनुरूप पुस्तक मेला अधिकारियों ने प्रकाशकों को रैंप इंस्टॉल करने का आदेश देकर ही अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली। जिस शौचालय पर दिव्यांग अनुकूल लिखा गया था वह भी उपयोग लायक नहीं है।
उन्होंने कहा कि 2024 में भी यही दुर्दशा है क्योंकि दिव्यांग लोग स्टॉल के अंदर नहीं जा सकते। पुस्तक मेला आयोजक मंत्रालय के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे मेला आयोजक विकलांगों को किताबों की शानदार दुनिया से दूर रखना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हस्तक्षेप की मांग
प्रियंका ने खास तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील करते हुए कहा कि दूसरे राज्यों में सार्वजनिक जगहों अस्पतालों, रेस्तरां, शॉपिंग्स मॉल आदि में व्हीलचेयर के अनुकूल संरचनाएं बनाई गई हैं, ताकि दिव्यांग जनों को आने-जाने में सुविधा हो। कई जगहों पर तो कैब्स में भी इस तरह की सुविधाएं हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक जगहों पर इसकी व्यवस्थाएं बहुत नगण्य हैं। इसलिए मुख्यमंत्री को इस पर हस्तक्षेप कर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी चाहिए।
क्या कहना है पुस्तक मेला प्राधिकरण का
इस संबंध में मेला आयोजन की अगुवाई कर रहे त्रिदिव चटर्जी से हिन्दुस्थान समाचार ने बातचीत की तो उन्होंने स्वीकार किया कि मेले में पर्याप्त रैंप्स होने चाहिए। मेला मैदान मूलतः केएमडीए का है। केएमडीए की ओर से इसमें कुछ मूलभूत बदलाव किए जाने की जरूरत है ताकि दिव्यांगों के अनुरूप व्यवस्थाएं की जा सके। उन्होंने कहा कि स्टॉल लगाने वालों को भी खास तौर पर इसका ध्यान रखना होगा। हालांकि उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों के बारे में कुछ नहीं कहा।