क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को विश्व का सबसे आधुनिक बनाने का दृढ़ संकल्प: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री ने '5वें अंतरराष्ट्रीय और 44वें ऑल इंडिया क्रिमिनोलॉजी कांफ्रेंस और स्टेट ऑफ द आर्ट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिजिटल फॉरेंसिक का शुभारंभ कराया
गांधीनगर, 23 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि हमने विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में अपराधों को नियंत्रित करने और केसेज के बेहतर अन्वेषण के लिए भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को टेक्नोलॉजी के माध्यम से विश्व का सबसे आधुनिक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बनाने का दृढ़ निर्णय लिया है। जिसे अगले पांच साल में पूरा करने की योजना है। केंद्रीय गृह मंत्री मंगलवार को गांधीनगर में राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान के तीन दिवसीय कांफ्रेंस का उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में 50 से अधिक परिवर्तनकारी निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिमिनल जस्टिस अब नये युग में प्रवेश कर चुका है। ब्रिटिश काल की 150 वर्ष पुरानी आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर नये कानून बनाये हैं। जिससे न सिर्फ अपराधियों को भविष्य में अपराध करने से रोका जा सकेगा, बल्कि सजा में भी बढ़ोतरी होगी। इतना ही नहीं, फॉरेंसिक के माध्यम से अपराध की जांच में भी तेजी आएगी और कन्विक्शन रेट में में काफी वृद्धि होगी।
शाह ने मंगलवार को राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय- एनएफएसयू गांधीनगर में ‘सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन डिजिटल फॉरेंसिक’ और ‘बिहेवियरल फॉरेंसिक’ पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने '5वें अंतरराष्ट्रीय और 44वें ऑल इंडिया क्रिमिनोलोजी कांफ्रेंस और स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन डिजिटल फॉरेंसिक’ का भी शुभारंभ कराया। शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की है, जो पूरी तरह से व्यावहारिक है और आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली का आधार है। अपराधों की जांच व जांच में फॉरेंसिक विज्ञान का दायरा बढ़ाने का ऐतिहासिक निर्णय किया गया है और फॉरेंसिक जांच को अपराध जांच का महत्वपूर्ण भाग बनाया है। परिणामस्वरूप, आगामी समय में इस क्षेत्र में व्यापक रोजगार सृजित होंगे। अगले पांच वर्षों के बाद हर वर्ष 9000 से अधिक छात्रों को फॉरेंसिक साइंस क्षेत्र में रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2003 में गुजरात में फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी, जिसे वर्ष 2020 में राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया है। राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत संचालित वर्तमान में देश में नौ स्थानों में नए परिसर और युगांडा में एक परिसर कार्यरत हैं तथा निकट भविष्य में 9 राज्यों में और नए केंद्र कार्यरत होंगे।
गृह मंत्री शाह ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में हमारे सामने चार बड़े लक्ष्य हैं: टेक्नॉलजी युक्त आधुनिक पुलिसिंग, हाईब्रिड और बहुआयामी खतरों से निपटने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग और क्रिमिनल जस्टिस को एक आधुनिक प्रणाली बनाना। यह जरूरी है कि सभी को त्वरित न्याय मिले। उसके लिए टेक्नोलॉजी का अधिकतम उपयोग करना होगा। पू. कन्हैयालाल मुंशी कहते थे कि पुलिस को अपराधी से दो कदम आगे चलना पड़ता है, लेकिन अब हमें अपराधियों से दो पीढ़ी आगे रहना होगा, तभी अपराध रुकेगा। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हर व्यक्ति देश की मदद कर सकता है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ब्रिटिश काल के 150 वर्ष आईपीसी, सीआरपीसी और तत्कालीन साक्ष्य अधिनियम कानूनों को प्रतिस्थापित करके, हमने नागरिकों को सजा नहीं बल्कि न्याय देने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक नामक तीन नए कानून बनाए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से डेटा इंटीग्रेशन भी किया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 08 करोड़ एफआईआर ऑनलाइन दर्ज हुई हैं। पर्वतीय क्षेत्र के स्थानों को छोड़ कर सभी पुलिस थाने ऑनलाइन जोड़े गए हैं। अपराधियों, बाल तस्करों, आतंकवादी संगठनों के डेटा को ऑनलाइन किया गया है। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार कर एआई की मदद से सारे डेटा का एनालिसिस किया जाएगा। यह व्यवस्था आगामी तीन वर्षों में कार्यरत करने की योजना है। इस वन डेटा-वन एंट्री के सिद्धांत पर कार्य करने के लिए नए सॉफ्टवेयर तैयार करने पड़ेंगे, जिसमें एनएफएसयू के विद्यार्थियों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।