सूरत : सिविल डॉक्टर ने 700 ग्राम की बच्ची का 74 दिनों तक इलाज कर उसे नई जिंदगी दी

19 दिन वेंटिलेटर, 6 दिन सी-पैप और 5 दिन ऑक्सीजन पर इलाज, निजी अस्पताल में इलाज का खर्च 10 लाख रुपए तक हो जाता

सूरत : सिविल डॉक्टर ने 700 ग्राम की बच्ची का 74 दिनों तक इलाज कर उसे नई जिंदगी दी

गोडादरा के एक निजी अस्पताल में महिला ने समय से पहले सिजेरियन डिलीवरी के जरिए मात्र 700 ग्राम वजन की नवजात बच्ची को जन्म दिया गया। सिविल विभाग के शिशु विभाग के डॉक्टरों की टीम ने 74 दिनों के गहन इलाज के बाद बच्ची को ठीक कर पुनर्जीवित किया। इतना ही नहीं, इस दौरान बच्ची का वजन बढ़कर 1 किलो 400 ग्राम हो गया है।

गोडादरा में रहने वाली 29 वर्षीय गर्भवती महिला रोशनी धनंजय शर्मा को 31-10-2023 को प्रसव पीड़ा हुई। इसलिए उन्हे उधना के एक निजी अस्पताल ले जाया गया। वहां रोशनी ने समय से पहले हुए सिजेरियन ऑपरेशन से एक नवजात बच्ची को जन्म दिया। उस वक्त बच्ची का वजन महज 700 ग्राम था और उसकी हालत बेहद नाजुक थी। निजी अस्पताल के कर्मचारियों ने उसके परिवार को बताया कि बच्ची के इलाज पर 7 से 8 लाख रुपये का खर्च आएगा।

हालांकि, इलाज के लिए पैसे नहीं होने के कारण लड़की के परिजन चिंतित हो गए और तुरंत इलाज के लिए नई सिविल अस्पताल के शिशु विभाग में आए। वहां डॉक्टर ने बच्ची को एनआईसीयू में भर्ती कर लिया। शिशु विभागाध्यक्ष डॉ. जिगिशा पाटोदिया, डॉ. उपेन्द्र चौधरी, डॉ. प्रफुल्ल बम्बरोलिया सहित रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने आवश्यक उपचार कर बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार किया है।

डॉ. प्रफुल्ल बांबरोलिया ने बताया कि जब बच्ची को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उसका वजन मात्र 700 ग्राम था। उनके फेफड़े कच्चे थे और उनके शरीर के सभी अंग पूरी तरह से विकसित नहीं थे। ऐसी स्थिति में केवल 30 प्रतिशत बच्चों के ही जीवित रहने की संभावना होती है। उनके फेफड़ों को खोलने के लिए इंजेक्शन दिए गए, संक्रमण दूर करने के लिए उन्हें जरूरी इलाज दिया गया, उनकी आंखों का विकास कम होने के कारण उन्हें जरूरी इंजेक्शन दिए गए।

बच्ची की हालत नाजुक होने के कारण उसे 19 दिनों तक वेंटिलेटर, 6 दिनों तक सी-पेप और 5 दिनों तक ऑक्सीजन पर रखा गया और शिशु विभाग के डॉक्टरों की टीम द्वारा 74 दिनों के उपचार के बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ। इतना ही नहीं बल्कि बच्चे का वजन भी बढ़कर 1 किलो 400 ग्राम हो गया है। अब वे बच्ची को छुट्टी देने की तैयारी कर रहे हैं। निजी अस्पताल में इस तरह के इलाज का खर्च 7 से 10 लाख रुपये है, लेकिन नए सिविल अस्पताल में इलाज मुफ्त किया गया।

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