उप्र के हमीरपुर में जादुई फूलों की खेती से किसान बदल रहे तकदीर

जादुई फूलों से बनती हैं आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक दवाएं, असाध्य बीमारियों का होता है इलाज

उप्र के हमीरपुर में जादुई फूलों की खेती से किसान बदल रहे तकदीर

हमीरपुर, 28 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में जादुई फूलों की खेती से यहां के किसान अपनी तकदीर बदल रहे है। फालतू और बंजर जमीन पर इन दिनों जादुई फूलों की खेती का अब लगातार ग्राफ भी बढ़ रहा है। इसके फूलों से अल्सर बीमारी से निजात मिलती है। इससे आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाएं भी बनाई जाती हैं। आर्गेनिक कम्पनी में इन फूलों की मांग भी अब बढ़ी है।

हमीरपुर जिले में अपनी तकदीर बदलने के लिए किसानों ने परम्परागत खेती के साथ जादुई फूलों की खेती शुरू की है। फालतू और बंजर जमीन पर इसकी खेती बड़ी ही फायदेमंद मानी जाती है। राठ ब्लाक केचिल्ली गांव में ही 45 फीसदी से अधिक किसानों ने जादुई फूलों की पौध खेतों में लगाए हैं। यहां के किसान रघुवीर सिंह ने बताया कि इस बार ढाई एकड़ में जादुई फूलों की खेती शुरू की है। खेतों में पौधे भी लहलहा गए हैं। फूल भी खिलने लगे हैं। अगले दो माह बाद जादुई फूलों की तोड़ाई कराई जाएगी। चिल्ली गांव में ही इस बार इसकी खेती का दायरा बढ़ा है। पूरे गांव में पांच सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसानों ने जादुई फूलों की खेती शुरू की है। इसके अलावा सरीला, मुस्करा और गोहांड क्षेत्र के कई गांवों में किसान इसकी खेती कर रहे हैं।

जिला उद्यान अधिकारी आशीष कुमार पटेल ने बताया कि जादुई फूलों की खेती बुन्देलखंड के तमाम इलाकों में किसान कर रहे हैं। इसकी खेती में लागत कम आती है लेकिन मुनाफा कई गुना तक होता है। बुन्देलखंड के दो जिलों में उद्यानीकरण का काम देख चुके जिला उद्यान अधिकारी डॉ. रमेश चन्द्र पाठक का कहना है कि जादुई फूल मेडिसन हैं जिसकी मांग आयुर्वेदिक चिकित्सा में ज्यादा है। इसीलिए किसानों ने इसकी खेती की तरफ तेजी से कदम बढ़ाए हैं।

प्रगतिशील किसान रघुवीर सिंह ने बताया कि चिल्ली गांव में पिछले साल एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में जादुई फूलों की खेती शुरू की थी जिसमें लाखों रुपये की आमदनी हुई थी। गांव में ही कभी ईंट-भट्टों पर काम करने वाले मदन पाल और श्यामलाल समेत तमाम लोगों ने भी इसकी खेती की तरफ कदम बढ़ाए हैं। मोटी कमाई होने के कारण गांव में बड़ी संख्या में किसानों ने इस बार इसकी खेती शुरू की है। राजेन्द्र सिंह, रघुवीर और श्याम लाल समेत तमाम किसानों ने बताया कि अबकी बार जादुई फूलों की खेती 45 फीसदी से ज्यादा किसानों ने शुरू की है। जिले में सैकड़ों किसान अपनी फालतू जमीन पर परम्परागत खेती के साथ जादुई फूलों के पौधे लगाए हैं। इसकी खेती में बहुत ही कम लागत आती है लेकिन फायदा चार गुना तक होता है। एक हेक्टेयर भूमि पर करीब 12 कुंतल जादुई के फूल तैयार होते हैं।

जादुई फूलों की खेती तीन से चार महीने में ही तैयार हो जाती है। इन्हें खरीदने के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के व्यापारी यहां आते हैं। हमीरपुर के आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. दिलीप त्रिपाठी ने बताया कि जादुई फूल पेट संबंधी बीमारियों के लिए रामबाण है। इसके फूल सुखाकर नियमित रूप से चाय पीने से अल्सर जैसी बीमारी छूमंतर हो जाती हैं। जादुई फूलों से होम्योपैथिक दवाएं भी बनती है, जिनसे असाध्य बीमारी का इलाज होता है।

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