मोरबी पुल हादसा पीड़ितों ने हाई कोर्ट में रखा पक्ष
मुख्य आरोपित जयसुख पटेल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित
अहमदाबाद, 13 दिसंबर (हि.स.)। मोरबी झूलता पुल हादसा मामले में बुधवार को गुजरात हाई कोर्ट में जज दिव्येश जोशी के कोर्ट के समक्ष मुख्य आरोपित जयसुख पटेल की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हुई। हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा है। इससे पूर्व जयसुख पटेल ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किया था।
गुजरात हाई कोर्ट में बुधवार को जयसुख पटेल की जमानत याचिका पर सुनवाई की गई। मुख्य आरोपित के खिलाफ दुर्घटना में मृतकों के परिजन भी हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखने पहुंचे। हादसे को लेकर बनी एसआईटी के रिपोर्ट में झूलता पुल के संबंध में कमजोर काम का उल्लेख किया गया था।
पीड़ितों की ओर से वकील उत्कर्ष दवे ने कहा कि आरोप पत्र और पीआईएल के संदर्भ में कई ऐसे डाक्यूमेंट ऑन रिकॉर्ड आए हैं जिसमें स्पष्ट है कि एमडी जयसुख पटेल को साफ पता था कि ब्रिज अत्यंत जर्जर हालत में है। साथ ही इस पर कभी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। दुर्घटना में मौतों के लिए जयसुख पटेल जिम्मेदार है, इसलिए केस की गंभीरता को लेकर जमानत नहीं दिया जाना चाहिए।
दूसरी ओर सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल मितेष अमी ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि ओरेवा कंपनी के 3 आरोपितों में से एक आरोपित को जमानत मिली है। जबकि दो आरोपित जेल में हैं। ब्रिज का रेनोवेशन देवप्रकाश सोल्युशन ने कराया था। मार्च, 2023 में आरोप पत्र फाइल हो चुका है। एफएसएल रिपोर्ट में ब्रिज के कमजोर होने का कारण बताया गया है। अभी तक चार्जफ्रेम नहीं हुआ है। केस में 370 गवाहों के कारण ट्रायल लंबा चलेगा, इसलिए आरोपित की जमानत पर कोर्ट को विवेक के तहत निर्णय करना चाहिए।
जमानत अर्जी दायर करने वाले आरोपित जयसुख पटेल की ओर से वकील निरुपम नाणावटी ने दलील दी कि हकीकत से कोई भाग नहीं सकता है। आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। मोरबी सेशन्स कोर्ट में जयसुख पटेल ने अग्रिम जमानत की याचिका दायर की गई। इसे वापस लिया गया था। आरोपित का सात से आठ दिनों का रिमांड भी दिया जा चुका है। आवेदक खुद ही ब्रिज का निरीक्षण नहीं करता था, इस काम के लिए विशेष कर्मचारी और मैनेजर रखे गए थे। मामले में 6 सह आरोपितों को पूर्व में जमानत दी जा चुकी है।