भारतीय मसाला की दुनिया दीवानी, विश्व फलक पर किसानों का जलवा

अंतरराष्ट्रीय मसाला बाजार में निर्यातक बनेंगे देश के किसान

भारतीय मसाला की दुनिया दीवानी, विश्व फलक पर किसानों का जलवा

भारत में मसाला उद्योग की असीम सम्भावनाएं

मीरजापुर, 12 दिसम्बर (हि.स.)। भारतीय मसाले की पूरी दुनिया दीवानी है। भारतीय मसाला भोजन की थाली का जायका बढ़ाने के साथ किसानों का जलवा भी कायम किया है। भारत मसाला का बड़ा उपभोक्ता और निर्यातक भी है। भारत का मसाला पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। मसाला भारत की विविधता का प्रतीक है। भारत का मसाला उद्योग प्रचीनकाल से ही विश्व में अग्रणी रहा है। वर्षाें से भारत मसाला उत्पादन, उपभोक्ता और निर्यातक के साथ प्रंसस्करण और मूल्यवर्धन में शीर्ष पर है। वर्ष 2022-23 पर गौर करें तो दुनिया भर के विभिन्न स्थानों पर 31,761 करोड़ रुपये (3.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का कुल 14,04,357 टन मसाला और मसाला उत्पादों का निर्यात किया गया था।

2030 तक 10 बिलियन डालर का मसाला निर्यात करने का लक्ष्य

भारत के मसाला उद्योग में असीम संभावनाएं हैं। मसाला उद्योग ने मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित कर 2030 तक 10 बिलियन डालर के मसाला उत्पादों के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए मसाला उद्योग के पास अपार क्षमताएं हैं।

पाक कौशल की कहानी कहती है कश्मीरी केसर व पश्चिमी घाट की इलायची

सरकार की सोच है कि देश के प्रत्येक जनपद को वहां के उत्पाद के हिसाब से बढ़ावा देकर उसको निर्यात हब बनाया जाए। मसाला भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं, जिसे किसान हमेशा उगाते आए हैं और उपयोग कर रहे हैं। दुनिया में भी भारत के मसालों की बड़ी मांग है। अंतरराष्ट्रीय मशाला बाजार में भारत का विशिष्ट स्थान है। भारत में न केवल बड़ी मात्रा में मसाला उत्पादन होता है बल्कि भारत के मसालों की विविधता और उत्तम गुणवत्ता इन्हें विशेष बनाते हैं। कश्मीर के सुगंधित केसर से लेकर पश्चिमी घाट की इलायची की मंत्रमुग्ध करने वाली सुगंध देश की पाक कौशल की कहानी कहती है।

मसाला उद्योग की प्रगति में उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका

पवित्र गंगा और उसकी सहायक नदियों से समृद्ध उत्तर प्रदेश उपजाऊ मिट्टी और पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं की उपलब्धता के कारण कृषि के फलने-फूलने में सहायक है। देश में खाद्यान्न के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश पुदीना, हींग, लहसुन, मिर्च और मशाला बास्केट में कई अन्य मसालों के उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए जाना जाता है। उत्तर प्रदेश में मसालों की खेती योग्य कुल क्षेत्र 4,03,518 हेक्टेयर हैं, जो 2,77,650 टन का उत्पादन करता है। उप्र में सबसे अधिक उत्पादित मसाला लहसुन है। इसके बाद मिंट और लाल मिर्च है। पुदीना (मेंथा अरर्वेसिस) और पुदीने के उत्पाद भारतीय मशालों के निर्यात बास्केट से शीर्ष पांच सबसे अधिक निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में से एक है। मिंट उत्पादों का देश से 26,708 टन निर्यात किया जाता है। इसकी कीमत 3,574 करोड़ रुपये है। उत्तर प्रदेश मेंथा उत्पादन में भी अग्रणी है। मिंट की खेती 3,00,000 हेक्टेयर से अधिक होती है।

हाथरस के हींग को जीआई का तमगा

उत्तर प्रदेश में मसाला खंड में एक और प्रमुख उद्योग है, वह है हाथरस में प्रसंस्कृत हींग। हींग के बिना पूरे भारत में व्यंजनों की कल्पना नहीं की जा सकती। हींग अचार, कचौड़ी से लेकर सांभर तक के स्वाद को दोगुना कर देता है। हाथरस के हींग को हाल ही में जीआई टैग का तमगा मिला है।

मसाला उद्योग में बेहतर बाजार पहुंच और आर्थिक अवसर

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि मसाला बोर्ड, एपीडा, आईसीएआर-आईआईवीआर और सीएसआईआर-सीमैप जैसे विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से पैदावार में वृद्धि, बेहतर बाजार पहुंच और बेहतर आर्थिक अवसरों में समन्वय स्थापित कर मसाला क्षेत्र में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। यह सामंजस्य समग्र आर्थिक विकास में योगदान देगा ही, मसाला क्षेत्र के समृद्ध अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

युवाओं के लिए नवीन बेहतर अवसर, मशाला की खेती को मिलेगा बढ़ावा

सरकार किसानों को ऐसी सुविधा उपलब्ध करा रही है, जिससे आवश्यकताओं के मद्देनजर किसान भी ऐसे फसलों की खेती कर समृद्ध बने। यह युवाओं के लिए नवीन बेहतर अवसर है। इससे मसाला की खेती को बढ़ावा मिलेगा। किसान स्वयं अपने उत्पाद को विदेशों में भी निर्यात कर सकेंगे।

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