सूरत : यूनेस्को द्वारा गुजरात के गरबा को 2023 की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में चुना गया
बोत्सवाना में यूनेस्को द्वारा आयोजित समारोह का अडाजन के परफॉर्मिंग आर्ट्स सेंटर में सीधा प्रसारण किया
करोड़ों गुजरातियों के लिए गर्व का क्षण क्योंकि गरबा को यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित
गुजरात का प्राचीन गरबा अब राज्य और देश की सीमाओं को पार कर दुनिया भर में एक प्रमुख पहचान बन गया है। यूनेस्को - संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यानी यूनेस्को ने गुजरात के गरबा को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में घोषित किया। जिसके अंतर्गत यूनेस्को द्वारा बोत्सवाना में आयोजित समारोह के लाइव प्रसारण अडाजण के प्रदर्शन कला केंद्र में नगर निगम की सांस्कृतिक समिति की अध्यक्ष श्रीमती सोनलबेन देसाई कि उपस्थिति में आयोजित किया गया।
यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया जाना करोड़ों गुजरातियों के लिए गर्व का क्षण बन गया है, जबकि गरबा गुजरात और भारतीय संस्कृति की अनूठी एकता का प्रतीक है। गरबा ने जाति-धर्म, भाषा-बोली के मतभेदों से ऊपर उठकर सामाजिक समरसता और सामुदायिक जीवन को आकार देने और लोक जीवन को जीवंत और जीवंत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस अवसर पर श्रीमती सोनलबेन देसाई ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गारबो भक्ति, स्नेह और आपसी सहयोग का प्रतिबिंब है। हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में, समूहों में गाया जाने वाला गरबो सामाजिक जीवन का एक अनमोल हिस्सा है जो पारस्परिक प्रेरणा और जुनून का प्रतीक है जो मातृ प्रकृति के उद्भव से प्रकट होता है। सदियों पुरानी यह परंपरा आज भी जीवित है और इस अनमोल विरासत को विश्व स्तर पर मान्यता मिलना युवा और वृद्ध सभी के लिए खुशी और विशेष गर्व की बात है।
गरबा को विश्व स्तर पर पहचान मिलने पर सूरत के विद्यार्थियों ने यहां गरबा खेलकर जश्न मनाया। इस अवसर पर सहायक आयुक्त (रांदेर जोन) पारुलबेन राणा, सांस्कृतिक विभाग प्रमुख और सहायक आयुक्त गायत्रीबेन जरीवाला, उप लेखाकार ज्योतिबेन राणा, स्कूली छात्र-छात्राओं सहित नगर पालिका के विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।