सतत जीविकोपार्जन योजना ने दिव्यांग अजमेरी को खड़ा कर दिया अपने पांव पर
जीविका से जुड़ते ही बदल गया अजमेरी के परिवार का जीवन
पटना , 27 नवम्बर (हि.स.)। कहावत है अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। ऐसा करके दिखाया है बेगूसराय जिला के बरौनी प्रखंड स्थित नूरपुर पंचायत की अजमेरी खातुन ने। अजमेरी दिव्यांग है, अजमेरी के पति मो. आलम भी पांवों से लाचार हैं। 2018 से पहले तक अजमेरी और उनके पति के पास कोई काम नहीं था।
दिव्यांग होने के कारण उन्हें कोई काम भी नहीं देना चाहता था। काम की कमी एवं रोजगार के अभाव के कारण उनकी आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही थी। हालत यह थी कि अजमेरी खातुन के परिजनों को दो समय के खाने तक की व्यवस्था नहीं थी। इसी दौरान सतत जीविकोपार्जन योजना द्वारा चलाए गए विशेष अभियान में अजमेरी खातुन की दयनीय स्थिति को देखकर उनका चयन योजना के लाभार्थी के रूप में किया गया।
सतत जीविकोपार्जन योजना के लाभार्थी के रूप में चयन के बाद अजमेरी का जीवन पूरी तरह बदल गया। अजमेरी ने योजना से मिली आर्थिक मदद से 2018 में किराने की एक छोटी दुकान अपने घर में ही खोल लिया। इस दुकान से होने वाली आय से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा। सतत जीविकोपार्जन योजना द्वारा उनमें व्यवसायिक समक्ष विकसित करने एवं आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित भी किया गया।
जिसका सीधा लाभ अजमेरी के व्यवसाय में दिखा। अजमेरी खातुन बताती हैं कि जब उनका चयन एसजेवाई के लिए किया गया तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। योजना से जुड़ाव के बाद आर्थिक मदद के साथ-साथ मेरी व्यवसायिक समझ एवं आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित भी किया गया। प्रशिक्षण के बाद मैंने अपने घर में किराने की दुकान को प्रारंभ किया। किराने की दुकान से आमदनी बढ़ी तो मैंने घर के सामने ही गुमटी में एक और दुकान मनिहारी का शुरू कर लिया।
उन्होंने बताया कि दोनों दुकान पति-पत्नी मिलकर चलाते हैं। मेरे तीनों बच्चे भी मेरे कार्यों में मदद करते हैं। मनिहारी दुकान से भी काफी अच्छी आमदनी होने लगी। समय बदला और दोनों दुकान की आमदनी से अजमेरी ने बकरी पालन का निर्णय लिया और एक बकरी खरीद लिया। अभी उनके पास तीन बकरी है। एसजेवाई योजना से ग्रेजुएट हो चुकी अजमेरी खातुन को तीनों व्यवसायिक गतिविधियों से प्रतिमाह आठ से दस हजार रुपये की आमदनी हो रही है।
आर्थिक रूप से स्वावलंबी होने के कारण अब अजमेरी और उनके परिवार का जीवन पूरी तरह बदल गया है। अब वह आर्थिक रूप से सशक्त हैं। उनके तीनों बच्चे अब विद्यालय जाते हैं। अजमेरी को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। अजमेरी कहती हैं कि उनके जीवन में आए बदलाव में सतत जीविकोपार्जन योजना और जीविका की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अगर मुझे सतत जीविकोपार्जन योजना की मदद नहीं मिलती तो शायद मेरी स्थिति और भी ज्यादा खराब होती।
अजमेरी और आगे बढ़ना चाहती हैं, वह अपने जीवन में आई खुशियों के लिए सतत जीविकोपार्जन योजना एवं जीविका को धन्यवाद देती हैं। यह तो थी एक अजमेरी की कहानी, बेगूसराय में ऐसी सैकड़ों अजमेरी है। केन्द्र सरकार और बिहार सरकार के प्रयास से चल रही सतत जीविकोपार्जन योजना ने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को इतना आत्मनिर्भर कर दिया है कि वे देश, राज्य और समाज के आर्थिक समृद्धि का बड़ा श्रोत बन गई हैं।