बलिया में मिल्क एटीएम से किसान के बेटे ने दिखाई तरक्की की राह
यूपीएससी की तैयारी के बाद दूध के कारोबार में पिता का हाथ बंटाते खुद का शुरू किया कारोबार
बलिया, 22 नवम्बर (हि.स.)। जिले के नरही निवासी एक किसान के बेटे ने आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखा था, लेकिन पिता के दूध व्यवसाय से प्रेरणा लेकर अब वह खुद का मिल्क एटीएम चलाता है। एटीएम के जरिए दूध बेचकर किसान पुत्र वैभव नारायण राय मालामाल हो रहे हैं। वे दूसरों के लिए भी नजीर बन रहे हैं।
आमतौर पर पढ़ाई-लिखाई के बाद युवा अधिकारी या किसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने का सपना देखता है। जिले के नरही गांव निवासी वैभव नारायण राय ने भी 2014 में पीजीडीसीए करने के बाद सिविल सर्विस में जाने का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। गांव आते-जाते पिता नमो नारायण राय द्वारा पराग डेयरी की सोसायटी चलाने का तौर-तरीका देखते-देखते वैभव का भी मन दूध व्यवसाय में रमने लगा। 2017 में सिविल सर्विसेज की तैयारी छोड़ वैभव पूरी तरह से गांव आकर रहने लगे। अपना एफपीओ नरही डेयरी के नाम से खोला। शुरू में बीस लीटर दूध लेकर शहर में जाने वाले वैभव अब रोजाना छह सौ लीटर दूध की बिक्री कर रहे हैं।
खास बात यह है कि वैभव बिना पश्च्युराइजेशन के दूध तैयार करते हैं। दूध के साथ ही खोया, दही और पनीर भी तैयार करते हैं। पच्चीस किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय पर रोजाना उनका एटीएम वाहन दूध लेकर जाता है। फिलहाल छह सौ लीटर दूध की खपत के साथ ऑर्डर पर खोया, दही और पनीर भी सप्लाई करते हैं। वैभव के एटीएम दूध की शहर में काफी डिमांड है। तय नुक्कड़ पर लोग इनके दूध का इंतजार करते हैं। ग्राहक उनके सेल्समैन के एग्जीक्यूटिव कार्ड के जरिए भुगतान करते हैं और उसके हिसाब से अपने पात्र में दूध लेते हैं।
वैभव ने बताया कि अभी महीने की आमदनी करीब 60 हजार की है। दूध व्यवसाय को चलाने के लिए आठ मजदूर रखे हैं। प्रति महीने लगभग 96 हजार सेलर देते हैं। वैभव ने बताया कि नाबार्ड के जरिए एफपीओ शुरू किया। इसके लिए मेरा कुछ भी पैसा नहीं लगा। यह पूछे जाने पर कि दूध के इस व्यवसाय के लिए पूंजी कहां से आयी तो इसके जवाब में कहा कि वाहनों के लिए लोन लिया और पिता के केसीसी से सहायता मिली।